रोमिला थापर ने पुनर्विचार याचिका दायर की
मामले पर सुनावाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ करेगी। इससे पहले अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी जांच से इनकार करते हुए पुणे पुलिस को ही इस मामले की जांच करने का आदेश दिया था। इसी फैसले पर इतिहासकार रोमिला थापर ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
वहीं, इस मामलें में महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच बढ़ाने के लिए निचली अदालत के फैसले को गलत ठहराते हुए निरस्त कर दिया था। इसी फैसले के विरोध में महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 29 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा
भीमा कोरेगांव महाराष्ट्र के पुणे जिले में है। इस छोटे से गांव से मराठा का इतिहास जुड़ा है। 200 साल पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में हरा दिया था। पेशवा की सेना की अगुवाई बाजीराव द्वितीय कर रहे थे। बाद में इस लड़ाई को दलितों के इतिहास में खास जगह मिल गई। डॉ. बी आर आंबेडकर को फॉलो करने वाले दलित इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम साम्राज्यवाद की लड़ाई नहीं कहते, बल्कि दलित इस लड़ाई को अपनी जीत मानते हैं। उनके मुताबिक, इस लड़ाई में दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी। लेकिन इस 2018 में इस युद्ध की 200 वीं साल गिरह थी, जिसकी वजह से भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग एक जगह इकठ्ठा हुए थे। इस दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।