16 प्रवासी मजदूरों की मौत जानकारी के मुताबिक, आज तड़के करमाड पुलिस स्टेशन थाना क्षेत्र में कई प्रवासी मजदूर ट्रेन की पटरी पर सोए थे। तभी एक मालगाड़ी वहां से गुजरी, जिसमें 16 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में बच्चे भी शामिल हैं। कहा ये भी जा रहा है कि यह मालगाड़ी खाली थी। वहीं, इस हादसे में तीन लोग सुरक्षित बच गए हैं। वहीं, इस घटना को लेकर रेलवे का कहना है कि लोको पायलट ने पटरी पर सोए लोगों को देखा, लेकिन जब तक ट्रेन को रोकने की कोशिश की गई तब तक यह हादसा हो गया। इधर, घटना में घायल लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
मध्य प्रदेश के रहने वाले थे सभी मजूदर वहीं, इस घटना को लेकर औरंगाबाद एसपी मोक्षदा पाटिल ने बताया कि सभी मजदूर जालना स्थित एक कंपनी में काम करते थे। लॉकडाउन के कारण ये सभी भुसावल जाकर ट्रेन पकड़ने वाले थे। मध्य प्रदेश के रहने वाले ये मजदूर 45 किलोमीटर चलने के बाद थक गए थे और वहीं पटरी पर ही लेट गए और इतना बड़ा हादसा हो गया। वहीं, घटना के बाद जांच के लिए कई अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक पर रोटियां बिखरीं हुई थी, जो मजदूर खाने के लिए लाए थे। एक अधिकारी का कहना है कि जब तक मजदूर संभलने की कोशिश किए तब तक यह हादसा हो गया।
प्रधानमंत्री और रेल मंत्री ने जताया दुख इधर, औरंगाबाद की घटना पर प्रधानमंत्री ने दुख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेल हादसे में जानमाल के नुकसान से दुखी हूं। उन्होंने लिखा कि इस घटना को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात हुई है और पीड़ितों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। वहीं, इस घटना को लेकर रेल मंत्री पीय़ूष गोयल ने लिखा कि आज सुबह तड़के पांच बजकर 22 मिनट पर घटी घटना का दुखद समाचार मिला। मौके पर राहत बचाव कार्य जारी है। जांच के आदेश दे दिए गए हैं। वहीं, मृतक की आत्म को शांति मिले इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। फिलहाल, पूरे मामले की छानबीन की जा रही है। लेकिन, सवाल ये है कि इन मजदूरों के मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या लॉकडाउन के कारण इनकी जान गई, क्या मजबूरी ने इनकी जान ली? या फिर पूरा सिस्टम इनके मौत का जिमेदार है?