दरअसल, भारतीय सेना चीन की चालबाजी को देखते हुए अब तक के अपने सबसे बड़े सैन्य भंडारण अभियान पर काम कर रही है। इसके अन्तर्गत पूर्वी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी हथियार, गोला-बारूद, ईंधन के साथ ही खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगी हुई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस टॉप कमांडरों के एक समूह के साथ थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे इस ऑपरेशन से सीधे जुड़े हैं। लॉजिस्टिक ऑपरेशन की शुरूआत जुलाई के मध्य में हुई थी और अब यह पूरा होने जा रहा है।
Bihar चुनाव : बगावती तेवर से चिराग का उपेंद्र जैसा हाल, एलजेपी के 4 सांसद एनडीए छोड़ने को तैयार नहीं भारतीय सेना ने इस अभियान के तहत भारी संख्या में टी-90 और टी-72 टैंक, तोपों, अन्य सैन्य वाहनों को विभिन्न संवेदनशील इलाकों में पहुंचाया काम किया है। 16,000 फुट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए कपड़े, टेंट, खाद्य सामग्री, संचार उपकरण, ईंधन, हीटर और अन्य वस्तुओं की भी ढुलाई की है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक का यह सबसे बड़ा अभियान है। देश की आजादी के बाद लद्दाख क्षेत्र में यह ऑपरेशन समाप्त होने के करीब है। इस ऑपरेशन पर काम करने का मकसद चीनी दुस्साहस से निपटना है। यही वजह है कि पूर्वी लद्दाख में 3 अतिरिक्त सैन्य डिविजन तैनात की गई है।
Jaswant के स्टेट्समैनशिप का क्लिंटन ने माना था लोहा, दिल्ली का दौरा कर भारत-अमरीका दोस्ती की रखी नींव बता दें कि अक्टूबर से जनवरी के बीच लद्दाख में तापमान शून्य से 5 से 25 डिग्री नीचे रहता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सेना ने यूरोप के कुछ देशों से सर्दियों के कपड़े आदि आयात किए हैं। पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पहले ही उनकी आपूर्ति की जा चुकी है।
इसके अलावा हजारों टन भोजन, ईंधन और अन्य उपकरणों के परिवहन के लिए सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर सहित भारतीय वायु सेना के लगभग सभी परिवहन विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया गया है। वहीं भारतीय वायु सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है।