कोरोना काल के बीच केंद्र सरकार की ओर राज्यों, शहरों और मेट्रो कंपनियों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के तहत पेट्रोल-डीजल के वाहनों की जगह गैर मोटरकृत परिवहन ( NMT ) को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
कोरोना संकट के बीच जिंदगी को पटरी पर लाने के साथ-साथ सरकार अब सार्वजनिक परिवहन संचालन में बड़े बदलाव कर रही है। इतना ही नहीं अब नए विकल्पों पर जोर दिया जाएगा। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ( Ministry of Housing and Urban Affairs ) के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा के मुताबिक तीन सूत्री कार्यनीति का सुझाव दिया है।
इस नीति के तहत सार्वजनिक परिवहनों में किया जाने वाले बदलाव को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पहला चरण अल्प- जो छह महीने के अंदर होगा, दूसरा मध्यकालिक- ये एक वर्ष के अंदर और तीसरा दीर्घकालिक- यानी 1 से 3 वर्ष अंदर इसे अपनाया जा सकता है।
NMT के लिए ये सही वक्त
सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक ज्यादातर शहरी यात्राएं पांच किमी के दायरे में होती हैं। यही वजह है कि गैर मोटर वाले वाहनों यानी नॉन मोटराइज्ड ट्रांसपोर्टेशन ( NMT ) के लिए कोरोना काल में इसे लागू करने का सही मौका है।
इतना ही नहीं सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक साइकिल और पैदल चलने के साथ बिना इंजन वाले अन्य वाहनों को दोबारा प्रचलन में लाया जाएगा। 50 फीसदी तक होगी मेट्रो की क्षमता
नए बदलावों के तहत मेट्रो को लेकर भी एडवाइजरी में जिक्र है। इसके मुताबिक कोरोना संकट के चलते सामाजिक दूरी ( Social Distancing ) के कारण मेट्रो ( Metro ) में 25 से 50 फीसदी क्षमता का ही इस्तेमाल किया जाएगा।
आपको बात दें कि देश में फिलहाल 18 बड़े शहरों में 700 किमी की मेट्रो और 11 शहरों में 450 किलोमीटर BRT नेटवर्क है। इनमें रोजाना 1 करोड़ से ज्यादा यात्री सफर करते हैं।
वायरस के प्रसार को रोकने वाली तकनीक का इस्तेमाल
नए बदलावों के साथ-साथ अब सरकार नए विकल्पों पर भी जोर देने की तैयारी कर रही है। इसके तहत वायरस के प्रसार को रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।
इसके लिए इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम, भीम, फोनपे, गूगलपे, पेटीएम जैसी स्वदेशी नकदी रहित तकनीकों को इस्तेमाल में लाया जाएगा। इसके साथ ही स्पर्श रहित प्रणाली और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड जैसी सक्षण प्रणालियों के जरिये संपर्कों में कमी लाई जाए।