अक्षय तृतीया को लेकर पीएम मोदी ( PM pm Narendra Modi ) ने मन की बात में कहा, “मेरे प्यारे देशवासियो, ये सुखद संयोग ही है, कि आज जब आपसे मैं ‘मन की बात’ कर रहा हूं तो अक्षय-तृतीया का पवित्र पर्व भी है। साथियो, ‘क्षय’ का अर्थ होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो ‘अक्षय’ है।”
पीएम मोदी ने LinkedIn पर कोरोना के दौर की हकीकत बताई और भविष्य के लिए दिए शानदार मंत्र उन्होंने आगे कहा, “अपने घरों में हम सब इस पर्व को हर साल मनाते हैं लेकिन इस साल हमारे लिए इसका विशेष महत्व है। आज के कठिन समय में यह एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आत्मा, हमारी भावना, ‘अक्षय’ है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां रास्ता रोकें, चाहे कितनी भी आपदाएं आएं, चाहे कितनी भी बीमारियों का सामना करना पड़े- इनसे लड़ने और जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं।”
पीएम ने इसके पौराणिक महत्व के बारे में बताते हुए कहा, “माना जाता है कि यही वो दिन है जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण और भगवान सूर्यदेव के आशीर्वाद से पांडवों को अक्षय-पात्र मिला था। अक्षय-पात्र यानि एक ऐसा बर्तन जिसमें भोजन कभी समाप्त नही होता है। हमारे अन्नदाता किसान हर परिस्थिति में देश के लिए, हम सब के लिए, इसी भावना से परिश्रम करते हैं। इन्हीं के परिश्रम से, आज हम सबके लिए, गरीबों के लिए, देश के पास अक्षय अन्न-भण्डार है।”
पीएम ने नागरिकों का आह्वान करते हुए बोला, “इस अक्षय-तृतीया पर हमें अपने पर्यावरण, जंगल, नदियां और पूरे इकोसिस्टम के संरक्षण के बारे में भी सोचना चाहिए, जो, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम ‘अक्षय’ रहना चाहते हैं तो हमें पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी धरती अक्षय रहे।”
भारत में नहीं थम रहा है कोरोना का कहर, बीते 24 घंटों में 1990 नए केस, किन राज्यों में है सबसे ज्यादा खतरा पीएम ने लोगों से कहा, “क्या आप जानते हैं कि अक्षय-तृतीया का यह पर्व, दान की शक्ति यानि Power of Giving का भी एक अवसर होता है! हम हृदय की भावना से जो कुछ भी देते हैं, वास्तव में महत्व उसी का होता है। यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि हम क्या देते हैं और कितना देते हैं। संकट के इस दौर में हमारा छोटा-सा प्रयास हमारे आस-पास के बहुत से लोगों के लिए बहुत बड़ा संबल बन सकता है।”
उन्होंने कहा, “साथियो, जैन परंपरा में भी यह बहुत पवित्र दिन है क्योंकि पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जीवन का यह एक महत्वपूर्ण दिन रहा है। ऐसे में जैन समाज इसे एक पर्व के रूप में मनाता है और इसलिए यह समझना आसान है कि क्यों इस दिन को लोग, किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करना पसंद करते हैं। चूंकि, आज कुछ नया शुरू करने का दिन है, तो, ऐसे में क्या हम सब मिलकर, अपने प्रयासों से, अपनी धरती को अक्षय और अविनाशी बनाने का संकल्प ले सकते हैं?”
देश में Coronavirus: तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच ICMR ने दी अच्छी जानकारी पीएम ने आगे यह भी बताया, “साथियों, आज भगवान बसवेश्वर जी की भी जयंती है। ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे भगवान बसवेश्वर की स्मृतियां और उनके संदेश से बार–बार जुड़ने का, सीखने का, अवसर मिला है। देश और दुनिया में भगवान बसवेश्वर के सभी अनुयायियों को उनकी जयंती पर बहुत–बहुत शुभकामनाएं।”