900 छात्रों ने छोड़े कैंपस छात्रों का कहना है कि स्थायी कैंपस और पुख्ता सुरक्षा इंतजाम होने पर ही वे वापस लौंटेंगे। स्टूडेंस ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मानव संसाधन मंत्री के साथ ही उत्तराखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी मेल, फैक्स व अन्य माध्यमों से अपने फैसले की सूचना दी है। वहीं, एनआइटी प्रबंधन का कहना है कि मानव संसाधन मंत्रालय को पूरे प्रकरण से अवगत करा दिया गया है।
इन मांगोंं को लेकर छोड़े कैंपस गौरतलब है कि सभी छात्र एनआईटी स्थायी कैंपस के निर्माण और नया कैंपस बनने तक सुविधाजनक स्थान पर शिफ्ट किए जाने की मांग के लिए बीते कई दिनों से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे थे। दूसरी ओर संस्थान में संपन्न कैंपस इंटरव्यू में केवल 35 छात्रों ने ही हिस्सा लिया। बीते तीन अक्तूबर को एनआईटी हॉस्टल से लैब की ओर जाते हुए दो छात्राओं को बदरीनाथ हाईवे पर एक बेकाबू कार ने टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में एक छात्रा गंभीर घायल हो गई थी, जिसका अस्पताल में उपचार चल रहा है। स्थायी परिसर का निर्माण जल्द शुरू कराने और तब तक अस्थायी परिसर दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग को लेकर संस्थान में पढ़ रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्र-छात्राएं 19 दिनों से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे थे। मंगलवार सुबह ये सभी हास्टल में अपने कमरों पर ताले डालकर घर चले गए। छात्रों की नाराजगी है कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रही है। इसीलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है।
वहीं, एनआईटी उत्तराखंड के कार्यवाहक निदेशक का कहना है कि हमारे पास यही सूचना है कि कुछ छात्रों ने रजिस्टर में बाहर जाने की बात लिखी है। वह कहां गए हैं, हमें नहीं मालूम। उन्होंने नियमानुसार अपने बाहर जाने की सूचना हमें नहीं दी है। हमने चतुर्थ वर्ष के बच्चों से सेमेस्टर पूरा करने का अनुरोध किया है, ताकि उनका प्लेसमेंट हो सके।