रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन का असर जिस तरह देखने को मिल रहा है, उसके बाद भारत के पूर्वी हिस्से को रूपांतरण हस्तक्षेप की प्राथमिकता पर रखना जरूरी हो गया है। देश के जिन आठ राज्यों में जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर बताया जा रहा है, उनमें बिहार, असम और झारखंड के करीब 60 प्रतिशत जिले शामिल हैं। राष्ट्रीय जलवायु अति संवेदनशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट पर गौर करें तो प्रत्येक 100 ग्रामीण आबादियों पर वन क्षेत्र की कमी को अति संवेदनशीलता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारकों में से एक माना गया है।
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असम का करीब 42 प्रतिशत हिस्सा जंगल है यह हालात तब दिख रहा है, जब असम का करीब 42 प्रतिशत हिस्सा जंगलों से ढंका है। वन क्षेत्र के साथ सडक़ों की सघनता को दूसरी बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है। इसी तरह बिहार के 36 जिलों में खराब स्वास्थ्य ढांचे को अहम अति संवेदनशील कारक माना गया है। इनके बाद भी 24 ऐसे जिले आते हैं जहां सीमांत और लघु परिचालन की हिस्सेदारी अधिक है।जानिए क्या होती है समुद्री बर्फ, समुद्री जीवों के साथ-साथ पृथ्वी के लिए कितना है इसका महत्व
इन आठ के अलावा भी कई राज्यबता दें कि रिपोर्ट में आठ राज्यों को अति संवेदनशीलता की श्रेणी में रखा गया है, मगर हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड पर भी खतरा बरकरार है। हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम और पंजाब को निम्न से मध्यम श्रेणी के संवेदनशील राज्यों में, जबकि उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु, केरल, नागालैंड, गोवा और महाराष्ट्र को निम्र श्रेणी के संवेदनशील राज्यों में रखा गया है।