राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रही लार्सन एंड टर्बो (एल एंड टी) के प्रोजेक्ट हेड विनोद मेहता मंदिर निर्माण के रिव्यू से जुड़ी हर मीटिंग में खुद मौजूद रहे। मेहता के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण के लिए करीब 1500 कारीगर और 150 इंजीनियर काम कर रहे हैं। उत्तराखंड के रहने वाले मेहता ने 1991 में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर लार्सन एंड टर्बो को जॉइन किया था। मेहता इससे पहले खाड़ी देशों में लार्सन एंड टर्बो के कई प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं।
राम मंदिर में कितने पिलर होंगे, गर्भगृह कैसा होगा? यह सब खाका आइआइटी दिल्ली के रिटायर प्रोफेसर वीएस राजू के नेतृत्व वाली एक एक्सपर्ट कमेटी ने तैयार किया। राजू की टीम ने निर्माण के दौरान तीन बातों का विशेष ध्यान रखा। मिट्टी की नेचर के अनुसार मैटेरियल, अयोध्या के पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए निर्माण। इसके अलावा पुरातत्त्व विभाग से मिले नक्शों के आधार पर स्ट्रक्चर तैयार करना। आइआइटी दिल्ली में डायरेक्टर बनने से पहले तक वे आइआइटी मद्रास में प्रोफेसर थे।
मंदिर निर्माण में लोहे और सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर का निर्माण पत्थरों के जरिए किया गया है। इसके लिए एक खास तरह के पत्थरों के तरासा गया है। पत्थरों के तरासने का काम अन्नू भाई सोमपुरा के नेतृत्व में किया गया। गुजरात के प्रभास पट्टन निवासी अन्नू भाई सोमपुरा 33 साल पहले अयोध्या आए थे। सोमपुरा कहते हैं- शुरू में जब हम अयोध्या आए थे, तो सिर्फ 2 पत्थर यहां पर थे। कारीगर भी यहां आने से पहले डरते थे, हालांकि, हमें यह उम्मीद थी कि यहां एक न एक दिन जरूर राम मंदिर बनेगा। सोमपुरा के मुताबिक राम मंदिर के निर्माण में जो पत्थर उपयोग में लाया गया है, वो गुलाबी कलर की है। इस पत्थर पर जो नक्काशी की गई है, वो दूर से भी दिख सकती है।
प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष हैं। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी। मिश्रा इसके बाद से अयोध्या में ही रहकर मंदिर निर्माण कार्य की गतिविधियां को देख रहे थे। पीएमओ और सीएमओ से आए फीडबैक को इंजीनियर तक पहुंचाने का काम भी मिश्रा की ही टीम कर रही थी। मिश्रा ने कहा कि पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखना बड़ी चुनौती थी। नृपेंद्र मिश्रा को प्रधानमंत्री मोदी का भरोसेमंद माना जाता है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तो मिश्रा को पीएम कार्यालय का प्रमुख बनाकर लाया गया। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले मिश्रा 1967 बैच के आइएएस अफसर हैं।
विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय मंदिर ट्रस्ट के महासचिव हैं। बतौर महासचिव उनका काम प्रबंधन का भी है। महासचिव होने के नाते राय ही ट्रस्ट की तरफ से राम मंदिर निर्माण की निगरानी भी कर रहे हैं। मंदिर निर्माण के बारे में हर अपडेट राय ही मीडिया को देते हैं। यानी मंदिर निर्माण के हर फैसले में राय की अहम भूमिका रहती है। निर्माण से संबंधित हर रिव्यू मीटिंग में राय मौजूद रहे हैं। राय कोर्ट में रामलला के पैरोकार भी रहे हैं। 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की नगीना तहसील में जन्मे राय बचपन में ही राय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। राय ने सभी लोगों को एकजुट किया और मंदिर आंदोलन में धार देना शुरू कर दिया।