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4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठे हजारों सवाल,जानिए…. विवाद की 10 बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट ने 4 न्यायाधीशों ने एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो न्यायपालिका और सरकार में हड़कंप मच गया। पढ़िए प्रेस कॉन्फ्रेंस की 10 बड़ी बातें

Jan 12, 2018 / 04:39 pm

Chandra Prakash

Supreme Court judges

Supreme Court judges

1. शुक्रवार दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक असाधाराण साबित हुआ। उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने पहली बार पद पर रहते हुए एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।


2. इन न्यायाधीशों ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत की कार्यप्रणाली में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का पालन नहीं किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायिक पीठों को सुनवाई के लिये मुकदमे मनमाने ढंग से आवंटित कर रहे हैं, जिसकी वजह से न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर दाग लग रहा है।

3. न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ सुबह अपने तुगलक रोड स्थित आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में ये आरोप लगाए। उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया।

4. न्यायाधीशों ने कहा कि हमने पहले मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मुलाकात की, लेकिन हम उनको अपनी बात समझाने में नाकाम रहें। इसी वजह से आज देश की आवाम के सामने आए हैं।

5. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले न्यायाधीशों ने कहा कि हम सब देश का कर्ज अदा कर रहे हैं। हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद हम पर कोई आरोप लगाए जाए।


6. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नाम लिखे एक पत्र में कहा है कि, मुख्य न्यायाधीश का पद समान स्तर के न्यायाधीशों में पहला होता है। उन्होंने पत्र में लिखा कि तय सिद्धांतों के अनुसार मुख्य न्यायाधीश को रोस्टर तय करने का विशेष अधिकार होता है और वह न्यायालय के न्यायाधीशों या पीठों को सुनवाई के लिये मुकदमे आवंटित करता है।

7. उन्होंने न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर चुनिंदा ढंग से मुकदमे सुनवाई के लिये चुनिंदा न्यायाधीशों को आवंटित किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रोस्टर तय करने के लिये परिभाषित प्रक्रिया और परंपराएं मुख्य न्यायाधीश को दिशानिर्देशित करतीं हैं जिनमें किन प्रकार के मुकदमों की सुनवाई के लिये कितने न्यायाधीशों की पीठ बनायी जाए, उसकी परंपराएं भी शामिल हैं।

8. पत्र में उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे देश और न्यायपालिका पर दूरगामी परिणाम पड़े हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कई मुकदमों को बिना किसी तार्किक आधार ‘अपनी पसंद’के हिसाब से पीठों को आवंटित किया है। ऐसी बातों को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए।

9. न्यायाधीशों ने कहा कि इस बात को बहुत गंभीर चिंता के विषय के रूप में लिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश अन्य न्यायाधीशों से परामर्श करके इस स्थिति को ठीक करने और उसके लिये समुचित कदम उठाने के लिये कर्तव्यबद्ध हैं।

10. सुप्रीम कोर्ट ने चार न्यायाधीशों ने जिस तरह एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उससे न्यायपालिका ही नहीं बल्कि सरकार के अंदर भी हड़पंक मच गया है। राजनीति दलों और कई बड़े वकीलों ने इसपर चिंता जाहिर की है।

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