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कांग्रेस में शामिल होने वालों में बसपा के पूर्व पांच मंत्री, छह विधायक आैर दो एमएलसी भी देना होगा संक्रमित मरीजों का पूरा ब्योरा मरीजों की सही संख्या का अंदाजा न लग पाने से संक्रामक व अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम मुश्किल हो जाती है। तमाम सख्ती के बावजूद आधा से ज्यादा प्राइवेट डॉक्टर व लैब संचालक मरीजों का ब्योरा देने से पीछे हट रहे हैं, जबकि सीएमओ कार्यालयों में सभी चिकित्सक पंजीकृत हैं। प्रत्येक सप्ताह प्रदेश के सभी जिलों में संक्रमित बीमारियों से बचाव के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।
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कुख्यात डिक्शन की चपलता ने आैर उलझायी गुत्थी, शव के डीएनए टेस्ट का मिलान करवाती घूम रही पुलिस! ताकि न फैलें बीमारियां अप्रैल से लेकर अगस्त तक संक्रामक व वेक्टर जनित बीमारियां खूब कहर बरपाती हैं। हर साल ही हजारों लोग उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया, डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया आदि रोगों की चपेट में आ जाते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिग होम, क्लीनिक में आने वाले मरीजों की जानकारी न होने से रोग नियंत्रण के लिए ठोस कार्य योजना तक नहीं बन पाती। पूर्व में सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों से साप्ताहिक रिपोर्ट लेने के निर्देश दिए गए। साफ कहा गया कि रिपोर्ट न देने वाले हॉस्पिटल व लैब संचालकों के नवीनीकरण न किए जाएं।
संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी उत्तर प्रदेश संक्रामक रोग/वेक्टर बोर्न डिसीज विभाग के निदेशक ने सीएमओ को निर्देश दिए हैं कि समस्त पंजीकृत डॉक्टरों, लैब संचालकों व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक बुलाकर उन्हें निर्धारित प्रपत्रों पर रिपोर्टिग के दिशा-निर्देश दिए जाएं, ताकि इन रोगों से निबटने के लिए कार्ययोजना बनाई जा सके। समस्त डॉक्टरों व लैब संचालकों को रिपोर्टिग इकाई के रूप में पंजीकृत करना सुनिश्चित करें। संचारी रोग निदेशक डा. बद्री प्रसाद का कहना है कि प्रदेश के काफी डॉक्टरों-लैब संचालकों ने रिपोर्ट भेजनी शुरू की है। व्यवस्था से न जुड़ने वाले डॉक्टरों व लैब संचालकों पर विभागीय कार्रवाई होगी।
बोले सीएमओ सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि इस बार संक्रमण रोगों से निपटने के लिए विभाग ने खास इंतजाम किए हैं। निजी चिकित्सकों को भी उनके यहां आए हुए संक्रमित मरीजों का ब्योरा सीएमओ कार्यालय में उपलब्ध कराना होगा। ऐसा न करने वाले चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश हैं।