चौधरी चरण सिंह के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सुधाकराचार्य त्रिपाठी कहते हैं कि यह स्वादिष्ट तो है ही गुणकारी भी बहुत है। पेट की गड़बड़ियों को ठीक रखता है इसी कारण शायद मालपुओं जैसे भारी खाने के साथ इस की जुगलबंदी हो गई है। वहीं वैद्य ब्रज भूषण शर्मा कहते हैं कि कद्दू हृदयरोगियों के लिए लाभदायक यह फल कोलेस्ट्राल कम करता है, शुगर नियंत्रक होने के कारण शुगर रोगियों के भी बड़े काम का है। इस में विटामिन ए का स्रोत बीटा केरोटीन मौजूद है। इस के बीजों में आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम होने से बड़े काम के हैं।
डॉ. सुधाकराचार्य त्रिपाठी कहते हैं कि कद्दू भारत की नहीं अमरीका में उपज है। यह अमरीका में पैदा हुआ हैं और भारत ही नहीं पूरे विश्व की रसोई का नागरिक बन पूरी दुनिया की सेवा कर रहा है। उन्होंने बताया कि तीज त्यौहारों और पित्रपक्ष में कददू का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। पित्रपक्ष में तो हर दिन देश में कद्दू घरों में जरूर बनाया जाता है। घरों में श्राऋ के दौरान बनाए जाने वाले पकवान में कद्दू की सब्जी का विशेष महत्व होता है। कद्दू को भोजन में किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
धार्मिक और पौराणिक महत्व भी हिंदू समुदाय में कद्दू का पौराणिक महत्व भी है। कई धार्मिक अनुष्ठानों में जहां पशुबलि नहीं दी जाती है, वहां कद्दू को पशु के प्रतीक रूप में मानते हुए इसकी बलि दी जाती है। डॉ. त्रिपाठी के अनुसार एक लोक मान्यता यह भी है कि कददू को ज्येष्ठ पुत्र माना जाता है। देश के कई प्रांतों में महिलाएं तो इसे काटने के बारे में सोच भी नहीं सकतीं। पूरब के जिलों में मान्यता है कि किसी महिला द्वारा कद्दू को काटने का आशय अपने बड़े बेटे की बलि देने जैसा हो जाएगा। इसलिए यहां की महिलाएं किसी पुरुष से पहले कद्दू के दो टुकड़े करवाती है और फिर वह सब्जी के लिए दो बड़े टुकड़ों के छोटे-छोटे टुकड़े करती हैं।
सनातन परंपरा में भी मान्यता पंडित भारत ज्ञान भूषण बताते हैं कि कद्दू, नारियल कुछ ऐसे फल हैं जो सनातन धर्म की सात्विक पूजा में बलि का प्रतिरूप होते हैं। सनातन परंपरा में स्त्री सृजनकर्ता है, न कि संहारकर्ता। वह जन्म देती है, जन्मदात्री है और जो मां है, वह प्रतीकात्मक रूप से भी बलि नहीं देतीं।
उन्होंने बताया कि आज भी हिंदू धर्म में कई परिवारों में यह भी परंपरा है कि कद्दू को कभी भी अकेला नहीं काटा जाता। अक्सर या तो दो कुम्हड़ा को साथ काटा जाता है या फिर एक कुम्हड़ा ही काटना पड़े तो इसकी जोड़ी बनाने के अन्य सब्जी को साथ रखा जाता है। कई घरों में कद्दू के साथ एक नींबू, मिर्च या आलू का इस्तेमाल कर लिया जाता है।