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यहां बारिश के साथ पड़ेंगे आेले, स्कूलों की इतने दिन की हो सकती हैं छुट्टियां पानी की इतनी बर्बादी ठीक नहीं पानी की बर्बादी का हाल यही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यह आने वाले समय में यह जरूर ऐसा रूप धारण कर लेगी। मेरठ के अलावा कुछ ऐसे राज्य की बात करें, जहां पर आज भी कितने ही लोग साफ पानी के अभाव में या फिर रोग जनित गन्दे पानी से दम तोड़ रहे हैं। राजस्थान का जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज्यादा कीमती है। पीने का पानी इस इलाकों में बड़ी कठिनाई से मिलता है। कई-कई किलोमीटर चलकर महिलाएं पीने का पानी लाती हैं। इनकी जिंदगी का एक अहम समय पानी की जद्दोजहद में ही बीत जाता है। भूगोलशास्त्री डा. कंचन सिंह के मुताबिक मेरठवासी प्रतिदिन वाहन धोने में ही 10 लाख लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं। इसके अलावा पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी और घरों में नलों की खराबी के कारण 5 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है। देश में महिला को पानी लाने के लिए रोज ही औसतन पांच किमी का सफर पैदल ही तय करना होता है। जबकि मेरठ की महिलाओं के लिए ये सफर 1/4 किमी से भी कम है।
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कुंभ मेले में इस महिला शंकराचार्य को नहीं मिला स्थान तो कांग्रेस ने खोला मोर्चा, देखें वीडियो इन चीजों में अधिक पानी बर्बाद करते हैं मेरठवासी ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पांच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बर्बाद करते हैं। नहाने के टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी बहा देते हैं। जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर पानी लगता है। मेरठवासी प्रतिदिन औसतन एक से दो लीटर और पशु 50 लीटर पानी पी जाता है।