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15 साल अमेरिका में नौकरी करने वाले अजित सिंह ऐसे बन गए जाटों के सबसे बड़े नेता, दिलचस्प है कहानी सेना से रिटायर्ड कर्नल आरएस दुहूण जो कि बड़ौत के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अपनी मृत्यु के समय बेटे अजित सिंह से कहा था ‘तू दिल्ली से बागपत की ओर चले तो लोनी बॉर्डर पर सबको प्रणाम करना। बागपत के रास्ते में भी लोगों से नमस्ते कर लेना, लेकिन जब छपरौली और बड़ौत पहुंचना तो गाड़ी में बैट्ठे-बैट्ठे जाटों को गालियां देना। फिर भी वे तुझे ही वोट देंगे।’ कर्नल दुहूण कहते हैं कि ये किस्से बागपत की पूरी जाट बेल्ट में हर व्यक्ति की जुबान पर आज भी हैं। जाट खुद ये किस्से सुनाते हैं। वह कहते हैं कि अजित सिंह और जाट दोनों ने ही चौधरी चरण सिंह की बात को सच साबित किया है। यही कारण है कि बागपत के जाटों का चौधरी अजित सिंह से कभी मोह भंग नहीं हुआ।
अरविंद चौधरी बताते हैं कि 1999 और 2014 को छोड़ आज तक वे बागपत से चुनाव नहीं हारे। जनता दल, यूनाइटेड फ्रंट, कांग्रेस, भाजपा सभी सरकारों में वे मंत्री रहे। बड़ौत से छपरौली के बीच स्थित गांव कासिमपुर खेड़ी के मूल निवासी और
मेरठ में जाट संघर्ष समिति से जुड़े 70 वर्षीय चौधरी सुमेर सिंह अजित और जाटों के व्यवहार की पुष्टि करते हैं। कहते हैं – अजित अगर इन जाटों को फांसी भी दे दें, तो भी ये उसी नूं वोट गेरेंगे।
चौधरी चरण सिंह आज भी सपने में आते हैं सुमेर सिंह कहते हैं कि अजित सिंह और जाटों को लेकर एक और किस्सा है। हर चुनाव में मतदान से ठीक एक रात पहले बड़े-बुजुर्ग जाटों को चौधरी चरण सिंह सपने में आते हैं। सपने में आकर वे रोते हैं। कहते हैं- मुझे भूल गए। मेरे बेटे की न सही, लेकिन मेरी इज्जत की चिंता तो करो। चलो इस बार मेरे नाम पर अजित को वोट दे दो। मतदान के दिन सभी जाट द्रवित हो रालोद को वोट दे देते हैं। अजित को इस बार भी ऐसे ही सपने का भरोसा है।
अजित के बाद अब कौन बागपत की सीट खाली हो गई है। चौधरी अजित सिंह के जाने के बाद अब बागपत और छपरौली पर उनका दावेदार कौन होगा? बागपत के जाट अब जयंत चौधरी की ओर देख रहे हैं। उनका दावा है कि बाबा और पिता की पैतृक सीट पर अब जयंत चौधरी मजबूती से अपना दावा पेश करेंगे और आने वाले चुनाव में चौधरी चरण सिंह अपने पोते के लिए लोगों के सपने में आकर वोट मांगेंगे।