लखनऊ ( Lucknow ) में पकड़े गए अलकायदा के संदिग्ध आतंकियों की पैरवी करने वाली ‘जमीयत-उलमा-ए-हिंद’ का नेटवर्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दस जिलों में फैला है। इस संगठन ने पकड़े गए आतंकियों की पैरवी क घोषणा की है, जिससे स्थानीय खुफिया एजेंसिया सक्रिय हो गई हैं। पकड़े गए आतंकियों से भी पूछताछ में पता चला है कि इस संगठन का नेटवर्क प्रदेश के करीब 30 जिलों में फैल चुका है। ‘जमीयत-उलमा-ए-हिंद’ के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना अब्दुल रब आजमी और प्रदेश महासचिव मौलाना मोहम्मद मदनी संगठन को बढ़ाने में पूरी तरह से सक्रिय हैं। ‘जमीयत-उलमा-ए-हिंद’ की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रियता बढ़ी है तो इसके कार्यालयों के खुलने का सिलसिला भी तेजी से शुरु है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इसके कार्यालय पहले से खुले हुए हैं। अब जो नए कार्यालय खुल रहे हैं उनके बाहर जमीयत उलेमा उत्तर प्रदेश का बोर्ड लगाया जा रहा है। जमीयत उलेमा उत्तर प्रदेश अर्थात यह प्रदेश स्तरीय इकाई का नाम है।
आंतकियों की पैरवी करने वाले इस संगठन ने उत्तर प्रदेश में आगरा, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद, कानपुर, मेरठ, कानपुर देहात, सहारनपुर, हमीरपुर, बांदा, शाहजहांपुर, बिजनौर, एटा, ज्योतिबाफुले नगर, कन्नौज, हाथरस, अलीगढ़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, आजमगढ़, मथुरा, मुरादाबाद, प्रतापगढ़, हरदोई और वाराणसी में अपने सक्रिय सदस्य बना लिये हैं। प्रदेश में सक्रिय जमीयत-उलमा-ए-हिंद की जिलेवार इकाईयों में बिजनौर, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, प्रतापगढ़ और वाराणसी की सबसे ज्यादा सक्रिय है। ये इकाईयां मुस्लिम कम्युनिटी के विकास के लिये शिक्षा, सामाजिक भागीदारी व अधिकार, धार्मिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मासिक बैठकें करती रहती हैं। बता दें कि यूपी एटीएस ने मसरुद्दीन और मिनहाज अहमद को गिरफ्तार किया। दोनों के तार अलकायदा आतंकी संगठन से जुड़ा बताया गया है। एटीएस की पूछताछ में दोनों के लखनऊ में कई स्थानों पर विस्फोट कर दहलाने की साजिश का पता चला है।