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मुस्लिम धार्मिक नेताआें ने अफसरों से कहा- साहब, ये जूता कहीं इस शहर की फिजा न बिगाड़ दे, इस पर रोक लगाएं, देखें वीडियो सपा-बसपा दोनों ने अपनी-अपनी सीटों का बंटवारा कर मात्र दो सीटें अन्य दलों के लिए छोड़ी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि इस महागठबंधन के बोझ तले तो रालोद के मुखिया अजित सिंह की राजनैतिक महत्वकांक्षा को दबा दिया गया। जाहिर सी बात है, रालोद दो सीटों में मानने वाली नहीं। रालोद कहीं न कहीं पश्चिम उप्र में पांच सीटों की मांग तो करेगी ही। अगर रालोद की शर्तेंं सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं मानते तो ऐसे में कैराना मे हुआ सपा-रालोद गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच सकता है। पूर्व छात्र नेता और रालोद महासचिव डा. राजकुमार सांगवान कहते हैं कि सपा-बसपा का गठबंधन बेमेल हैै। उनका कहना है कि प्रदेश के और देश के चुनाव का मिजाज अलग-अलग होता है।
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VIDEO: आशा ज्योति केंद्र के स्टाफ ने किया ये काम, जानकर रह जाएंगे दंग सपा और बसपा को अपने हितों से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचना चाहिए। आज देश की जनता को मोदी सरकार के जुल्मों से निजात दिलाने की जरूरत है। सपा-बसपा दोनों आपस में ही गठबंधन कर कहीं न कहीं भाजपा को ही लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रालोद इस गठबंधन के खिलाफ है। जहां तक सीटों के बंटवारें का सवाल है तो इनका गठबंधन पश्चिम उप्र में बिना रालोद की सहयोग के एक भी सीट नहीं जीत सकता।