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ये है धर्मांतरण का मामला बता दें कि मुलत के मौलाना कलीम सिद्दीकी पर इन दिनों प्रशासन ने शिकंजा कस दिया। जिसके बाद से मौलाना की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। इसी बीच धर्मांतरण के शिकार हुए सौरभ गुप्ता ने पुलिस को बताया कि वह लावड़ में एक कोचिंग सेंटर में पढ़ता था। 2009 में कोचिंग संचालक की बहन ने सादमा का नंबर दिया था। मैंने रिहान नाम बताकर उसको कॉल की। इस पर सादमा ने मुझे धमकाया और कहां कि कॉल करोगे तो शिकायत कर दूंगी। 15 दिन बाद सादमा ने खुद ही मुझे कॉल की। वह बोली थी- मैं जानती हूं कि तुम रिहान नहीं बल्कि सौरभ गुप्ता हो। इस्लाम कबूल कर लो तो मैं दोस्ती कर लूंगी। उसके बाद फोन पर बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। वर्ष 2010 में मुजफ्फरनगर में सादमा से मुलाकात हुई। सौरभ 40 दिन की जमात पर भी गया सौरभ के मुताबिक, सादमा के साथ एक मुस्लिम युवक था, जो उसे फुलत ले गया। इसकी जानकारी लगने पर परिजन वहां पहुंचे और पांच-छह दिन बाद वापस ले आए। लेकिन वह सादमा के प्रेम में पड़ चुका था। इसी बीच, हाफिज अबरार ने सौरभ से संपर्क किया और उसने फुलत से उसे 40 दिन की जमात पर बाहर भेज दिया। वहां से लौटा तो मौलाना कलीम सिद्दीकी से उसकी मुलाकात हुई। उसने कारोबार कराने की बात कही और पुरकाजी में इसरार के पास भेज दिया। वहां भी कलीम ने आकर इसरार से परचून की दुकान खुलवाने की बात कही। दुकान खोलने से पहले ही सौरभ को फिर से 40 दिन की जमात पर भेज दिया। दुकान खोलने के बाद वो नहीं चली तो ठेला लगाकर केले भी बेचने पड़े।
मौलाना का जाल मेरठ में भी फैले होने की आशंका इसके साथ ही मिली जानकारी के अनुसार फुलत के मौलाना कलीम सिद्दीकी कई साल से गैर समुदाय के लोगों का धर्मांतरण करा रहा था। फंडिंग कराने का ठेका भी मौलाना के पास ही था। इसकी पूरी आशंका है कि मौलाना का जाल मेरठ में भी फैला हुआ है। पूछताछ के दौरान एटीएस को लावड़ के सौरभ गुप्ता से काफी जानकारी मिली। सौरभ 11 साल तक खतौली और मुजफ्फरनगर में रिहान बनकर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहा। जिसके बाद भाजपा के एक जनप्रतिनिधि को इसकी जानकारी लगी तो उसने सौरभ और मुजफ्फरनगर के सुशील जैन को वापस हिंदू समाज में लाने की योजना बनाई।
BY: KP Tripathi
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