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पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मानें तो मुन्ना बजरंगी को छह गोलियां उसकी छाती में सटा कर मारी गई थी, जबकि तीन गोलियां उसके सर में मारी गई। यानी कुल मिलाकर इस हत्याकांड में 9 राउंड फायरिंग की गई, जबकि मौके से 10 खोके बरामद हुए हैं। इसके साथ ही हत्या के आरोपी सुनील राठी की निशानदेही पर पुलिस ने गटर की सफाई कर 32 बोर का तमंचा और 22 गोलियां भी बरामद कर ली है। हालांकि, पूरे मामले को लेकर बागपत जिला प्रशासन अभी बोलने के लिए तैयार नहीं है। अफसर जांच के बाद ही कुछ भी बोलने की बात कह रहे हैं।
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पोस्टमार्टम के दौरान मुन्ना बजरंगी के शरीर में 13 सुराख मिले हैं, लेकिन गोली एक ही मिली है, जो करीब 20 साल पुरानी बताई जा रही है। दरअसल, सितंबर 1998 में दिल्ली में हुई पुलिस से मुठभेड़ के दौरान उसे आठ गोलियां लगी थीं। इनमें से एक गोली मरते दम तक उसके सीने में थी।
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दरअसल, मुन्ना बजरंगी की हत्या अभी तक पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। हत्या किस लिए की गई या किस के इशारे पर की गई है। इसका किसी के पास जवाब नहीं है, लेकिन जिस तरह से बागपत जेल में पहुंचे मुन्ना बजरंगी को मौत के घाट उतार दिया गया। वह भी किसी के गले नहीं उतर रहा है । हालांकि, इस मामले इस तरह की बातें भी सामने आ रही है कि रात के समय एंबुलेंस से मुन्ना बजरंगी को जेल में लाया गया और सुबह को 6:00 बजे हाई सिक्योरिटी बैरक से मुन्ना को निकाला जा रहा था। उसी समय सुनील राठी के साथ उसकी मुलाकात हुई थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान एक दूसरे पर सुपारी लेने का आरोप लगाकर दोनों में बहस हुई, जिसके बाद मारपीट होने के साथ ही गोलियां भी चली और गोली लगने से मुन्ना बजरंगी की मौत हो गई। हालांकि, मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी के बीच आखिर किस बात को लेकर मारपीट हुई और किसके इशारे पर गोलियां चली यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। वहीं, मुन्ना के परिजनों ने पूरे घटनाक्रम पर सवाल उठाते हुए इसे भाजपा सरकार की सोची समझी राजनीति बताया है। परिवार का आरोप है कि इस हत्याकांड में सत्ता पक्ष के कुछ नेता भी शामिल हैं।