वफादारी का दिया इनाम मायावती ने पहली बार किसी मुस्लिम को बसपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। मुनकाद अली को बसपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। ऐसा करके बसपा सुप्रीमो ने मुनकाद अली को उनकी वफादारी का इनाम दिया है। मुनकाद अली मेरठ के किठौर के रहने वाले हैं। उनकी गिनती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज मुस्लिम नेताओं में होती है। उनको मायावती का सबसे बड़ा विश्वासपात्र माना जाता रहा है।
बसपा से की थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत मुनकाद अली ने बसपा से ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। इस बीच पार्टी में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन मुनकाद अली बसपा के लिए वफादार रहे। उन्होंने कभी भी बसपा सुप्रीमो की अनुमति के बिना अपना मुंह नहीं खोला। उन्होंने बसपा से मुस्लिमाें को जोड़ने के लिए काफी काम किया। उन्हें पार्टी में कई बड़ी जिम्मेदारियां भी दी जा चुकी हैं। उन्हें मायावती की सरकार में अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य मनोनीत किया जा चुका है। वह मंडल अध्यक्ष और कई प्रदेशों के प्रभारी भी रहे। उन्हें मेरठ-सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी दी जा चुकी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको राजस्थान का प्रभारी बना कर भेजा गया था। फिलहाल उनके पास उत्तर प्रदेश के चार मंडलों मिर्जापुर, लखनऊ, अलीगढ़ और आगरा की जिम्मेदारी थी।
यह है वजह मुनकाद अली को बसपा में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बाद दूसरा बड़ा मुस्लिम नेता माना जाता है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के जाने के बाद पार्टी को काफी नुकसान हुआ था। माना जा रहा है कि किसी मुस्लिम को पहली बार प्रदेश अध्यक्ष का पद देकर मायावती ने एक बार फिर मुस्लिमों को साधने की कोशिश की है।
मुनकाद अली का राजनीतिक सफर – 1994 में किठौर क्रय विक्रय समिति के डायरेक्टर बने – साल 2006 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए – 2012 में दोबारा राज्यसभा पहुंचे
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