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मेरठ

इस एक किस्से से जानें, अटल जी की किस आदत के सभी थे मुरीद

अटल बिहारी वाजपेयी के आने की सूचना पर उमड़ आयी थी भीड़

मेरठAug 16, 2018 / 07:40 pm

sanjay sharma

Atal Bihari Vajpayee

Atal Bihari Vajpayee

मेरठ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने समय के बड़े पाबंद रहे हैं। उनसे जुड़े व्यक्ति उनकी इस आदत को जानते थे। समर्थकों के अनुसार अटल जी को न तो इंतजार करवाने की आदत थी और न वह किसी का इंतजार करते थे। उनका कहना था कि घड़ी किसलिए हाथ में बांधते हो। जब सब कुछ समय देखकर ही करना है तो फिर समय के पाबंद भी बनो। यह कहते हैं अटल जी के साथ हल्द्वानी में एक दिन समय बिताने वाले ज्वाला प्रसाद मिश्रा का।
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अटल जी के आने पर आ गए थे काफी लोग

ज्वाला प्रसाद जी 1967-68 के दौरान जनसंघ का जिला प्रभारी के रूप में नैनीताल जिले का कार्य देख रहे थे। उस दृष्टि से वह जनसंघ का पूरा काम देखते थे। उसी दौरान एक दिन का कार्यक्रम अटल जी का वहां पर लगा। अटल जी के नैनीताल पहुंचने पर कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा मैंने उन्हें बताई। अटल जी अपने सभी काम को समय से किया करते थे। उन्हें जो समय दिया जाता था उस समय पर वह उस कार्य को पूरा करते थे। ज्वाला प्रसाद के अनुसार अटल जी ने उनसे रात में पूछा कि सुबह शाखा पर जाना है, आप कौन सी शाखा पर लेकर चलेंगे। ज्वाला प्रसाद ने कहा कि पास में भोलानाथ की बगिया पर शाखा लगती है, मैं आपको वहां लेकर चलूंगा। अटल बिहारी वाजपेयी और मैं ठीक 6:30 पर शाखा पर पहुंच गए। सर्दियों के दिन थे। वहां पहुंचकर देखा तो शाखा में करीब पांच-छह लोग मौजूद हैं, लेकिन थोड़ी देर में जब लोगों को पता चला कि अटल जी आए हैं, तो लोगों की भीड़ लगने लगी।
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पांच मिनट में ही कर दिया था भाषण खत्म

ज्वाला प्रसाद जी ने अटल जी से निवेदन किया कि थोड़ा समय निकालकर पांच मिनट के लिए वह हमारा मार्ग प्रदर्शन करें। अटल जी ने आपनी बात कहनी शुरू की और मात्र पांच मिनट में अपना वक्तव्य समाप्त कर दिया। ज्वाला प्रसाद जी ने कहा कि जब उन्होंने अटल जी से इस बारे में कहा कि आप तो बोले नहीं, पांच मिनट में ही अपनी बात समाप्त कर दी तो अटल जी ने कहा कि तुम तो शाखा के कार्यकर्ता हो, जो तुमने आदेश दिया मैंने उसका ही पालन किया है। तुम्हारे आदेश की अवहेलना कैसे कर सकता हूं। ज्वाला प्रसाद जी कहते हैं कि अटल जी के जीवन में हर किसी चीज का मूल्य रहा और वह समय की वेल्यू को भी बाखूबी समझते थे।

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