डा0 गिरीश प्लेन हाईजैक के समय जो मनोस्थिति होती है उस पर थीसिस लिख रहे हैं। उन्होंने पत्रिका को बताया कि वे उस मनोस्थिति से रूबरू हुए हैं उन्हें पता है कि उस समय यात्रियों पर क्या गुजरती है। इन्हीं सब को ध्यान में रखकर वे एक थीसिस लिख रहे हैं जो जल्द ही प्रकाशित होगी।
डा0 गिरीश त्यागी बताते हैं कि प्लेन हाईजैक के बाद उसने कहां-कहां लैंडिग की यह किसी यात्री को पता नहीं चला। प्लेन में छोटे बच्चे और महिलाओं को मिलाकर कुल 176 यात्री थे। हाइजैकर्स प्लेन को दुबई ले गए। लेकिन हमें यह पता नहीं चला कि हम दुबई में है। वहां पर हाइजैकर्स ने 27 लोगों को प्लेन से उतार दिया जिसमें डा0 गिरीश पत्नी और छोटा बेटा भी शामिल था।
डा0 गिरीश बताते है कि प्लेन हाईजैक के एक दिन बाद उन्हें और अन्य यात्रियों को पता चला कि वे लोग कांधार में है। कांधार में कुछ लोग बाहर से प्लेन में चढे उनके हाथ में असाल्ट राइफलें थी। उन्होंने बताया कि आप अफगानिस्तान के कांधार में हैं और यहां पर तालिबान की सरकार है। किसी को कोई परेशानी होती है तो एयर होस्टेस को बताया जाए।
डा0 गिरीश बताते है। प्लेन में पूरी तरह से अंधेरा था। दिन में जरूर सूरज की रोशनी में हम सभी एक दूसरे का चेहरा देख लिया करते थे। सुबह-शाम प्लेन में बाहरी लोग आते थे और वे कुछ देर रूककर चले जाते थे।
प्लेन जितने दिन हाईजैक रहा उतने दिन यानी दस दिन तक सभी यात्रियों को आधी रोटी और प्याज के आधे टुकड़े के साथ छोटी सी हरी मिर्च खाने को दी जाती थी।
हाईजैकर्स ने पानी पीने के लिए भी मना किया हुआ था। पानी सुबह-शाम या फिर बहुत जरूरत पड़ने पर दोपहर को मिलता था। वह भी डिस्पोजल गिलास का आधा। उसे भी हाथ लगाकर नहीं पी सकते थे। पानी पिलाने के लिए एयरहोस्टेस आती थी और मुंह में पानी डालकर चली जाती थीं।
तालिबान आर्मी ने प्लेन में बैठी महिलाओं और एयरहोस्टेस को मुंह ढकने के लिए कहा और हिदायत दी कि अगर आंख के अलावा मुंह का कोई हिस्सा दिखाई दिया तो गोली मार देंगे।
31 दिसंबर 1999 की सुबह लंबा चौड़ा युवक आया और बोला आज शाम आप सब आजाद हो जाएंगे। भारत सरकार से समझौता हो गया है। हमें प्लेन के भीतर यह भी नहीं पता चल रहा था कि वे लोग चाहते क्या हैं। किस चीज का समझौता हुआ है। पूरा मामला क्या है। लेकिन जब हम कांधार से दिल्ली पहुंचे तो पता चला कि उनकी डील कितनी खतरनाक थी और हम लोग वर्ल्ड मीडिया और देश दुनिया की दस दिन तक सुर्खियां बने रहे।