सांड से दहशत में आए लोगों ने वन विभाग की टीम को सूचना दी। सुबह चार बजे गांव पहुंची वन विभाग की टीम ने सांड़ को काबू करने की पूरी कोशिश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद ग्रामीणों ने खुद मोर्चा संभाल लिया। लोगों ने रस्सियों से बांधकर सांड को काबू किया। बाद में वन विभाग की टीम ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन डोज अधिक होने के कारण सांड़ की मौत हो गई। इसके बाद ग्रामीणों ने उत्पाती सांड को मिट्टी में दफना दिया।
भगवान पुर चट्टावन के प्रधान अनिल के अनुसार गांव में एक सांड घूमता था, जो पिछले एक सप्ताह से हमलावर रुख इख्तियार कर लिया था। वह किसी पर भी उत्तेजित हो उठता था और हमला कर देता था। शुरू में उस पर कोई गौर नहीं किया गया। लोग उससे बचकर निकलने लगे, लेकिन देर रात वह अचानक ही बेकाबू और उग्र हो उठा। उसने गांव में खडे़ कई कार और बाइकों को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। रात के समय अधिकांश ग्रामीण घरों के भीतर थे। गांव में पिछले कई दिनों से एक अशक्त व्यक्ति घूम रहा था। सांड़ ने रात डेढ़ बजे इस व्यक्ति को कई टक्कर मारीं और गंभीर रूप से घायल कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
सोमवार सुबह चार बजे वन विभाग के रिटायर्ड डीएफओ जीएस खुसारिया गन लेकर गांव में पहुंचे। उन्होंने गन से सांड़ को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन गन नहीं चल पाई। इसके बाद ग्रामीणों ने मोर्चा लिया और रस्सियों से सांड़ को बांध लिया। इस दौरान जब वन विभाग की टीम ने बेहोशी का इंजेक्शन दिया तो इसके कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई। वहीं, डीएफओ आदिति शर्मा का कहना है कि गन चलाने के लिए पहले प्रेशर बनाना पड़ता है। हो सकता है गन का प्रेशर न बना हो, इसलिए न चल पाई हो। उन्होंने कहा कि रिटायर्ड डीएफओ काफी अनुभवी हैं, इसलिए उनको वहां पर भेजा गया था।