इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और सपा के बीच राजनैतिक तनाव चरम पर है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में सपा को एक भी सीट नहीं दी है। जिससे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रोष में हैं। अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा भी है कि कांग्रेस को इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में भुगतना होगा।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभिमन्यू त्यागी का कहना है कि पश्चिम यूपी में कांग्रेस सभी सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि इस बार कांग्रेस मेरठ सीट पर विशेष फोकस कर रही है। उन्होंने कहा इस बार कांग्रेस मेरठ—हापुड लोकसभा सीट पर जीत हासिल करेगी।
मेरठ की राजनीति को नजदीक से जानने वाले नवीन प्रधान का कहना है कि इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरठ—हापुड लोकसभा सीट पर परिस्थितियां काफी बदली होंगी। मुस्लिम वोटरों का रूझान कांग्रेस की तरफ हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में भी अगर ऐसाा हुआ इसका जबरदस्त फायदा कांग्रेस को मिलेगा। लेकिन इसके लिए कांग्रेस को कोई मजबूत प्रत्याशी मेरठ-हापुड लोकसभा सीट पर उतारना होगा।
बात मेरठ लोकसभा सीट की करें तो यहां पर 1952 से कांग्रेस का राज कायम रहा है। मेरठ में 1952 में पहली लोकसभा का चुनाव हुआ तो कांग्रेस मेरठ की तीनों लोकसभा सीटों पर भारी मतों से जीती थी। उसके बाद से लगातार कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल करती आई है। 1952 में मेरठ पश्चिम सीट से खुशी राम शर्मा, मेरठ दक्षिण सीट से कृष्ण चंद्र शर्मा और मेरठ उत्तर पूर्व से शााहनवाज खान सांसद बने थे।
1989 के बाद से हुए आम चुनाव में कांग्रेस लगातार हार का कडवा स्वाद चखती रही। 1991 में कांग्रेस को भाजपा के ठाकुर अमरपाल सिंह ने हराया था। उसके बाद 1996 और 1998 में भाजपा के पास लगातार तीन बार मेरठ लोकसभा सीट रहीं। 1999 में हुए आम चुनाव में मेरठ लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस की वापसी करवाई। 2004 में कांग्रेस से मेरठ सीट बसपा ने छीन ली और यहां से शाहिद अखलाक सांसद बनें। उसके बाद 2009 से मेरठ—हापुड लोकसभा सीट लगातार भाजपा के पास ही है।