पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान माने जाने वाले परिवहन सेक्टर में देश की आधी आबादी की बराबर की भागीदारी सुनिश्चित कर एनसीआरटीसी ने स्थापित मानदंडों को तोड़ने की तरफ़ एक सशक्त कदम उठाया है। इस प्रकार भारत की प्रथम रीजनल रेल द्वारा न सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में कदम बढ़ाया जा रहा है बल्कि महिला सशक्तिकरण के प्रयासों द्वारा आधुनिक भारत की एक नई तस्वीर भी गढ़ी जा रही है।
इस प्रशिक्षण में उन्हें आरआरटीएस प्रणाली में विश्व में पहली बार प्रयोग की जा रही ईटीसीएस लेवल-2 सिग्नलिंग प्रणाली, इसके रोलिंग स्टॉक, ट्रेन कंट्रोल सिस्टम आदि के बारे में प्रशिक्षित किया। रैपिडएक्स ट्रेनों की परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा है, इन महिला संचालकों के लिए इतनी तेज़ रफ्तार पर ट्रेन चलाना बहुत रोमांचक है।
ट्रेन का संचालन एक बहुत ही एकाग्रता, संयम एवं ज़िम्मेदारी का कार्य है। पिछले 6 महीने में इस प्रणाली पर ठीक उसी तरह ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जैसी परिचालन के बाद चलाई जाएँगी। साथ ही, इस प्रणाली के हर आयाम की बारीकी से जाँच की जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में इन महिला कर्मचारियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
इन महिलाओं को तो इस परियोजना का हिस्सा होने की प्रसन्नता है ही, उनका परिवार भी गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उनके अनुसार अब जब इस परियोजना का परिचालन होने जा रहा है, इतने यात्रियों की सुरक्षित और सफल यात्रा की ज़िम्मेदारी का एहसास और गहरा गया है।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के प्राथमिक खंड में परिचालन जल्द ही आरंभ होने वाला है, जिसकी सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। इस खँड में 5 स्टेशन हैं। इनमें साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो। आरआरटीएस का प्राथमिक खंड देश की ऐसी पहली रेलवे प्रणाली है जिसे 160 किमी प्रति घंटा की अधिकतम परिचालन गति पर इसकी सम्पूर्ण लंबाई को तय करने के लिए परिचालन हेतु खोला जा रहा है।