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मेरठ

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने छात्रों के लिए खोला खजाना, लाखों रुपए बढ़ाया बजट

सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के लिए भी पद सृजित कर दिए गए हैं, जिनके लिए वित्तीय प्रावधान किए जाने का भी निर्णय हुआ है।

मेरठFeb 14, 2018 / 04:37 pm

Rahul Chauhan

CCS university
मेरठ। शहर के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) ने छात्रों के लिए खजाने का मुंह खोल दिया है। अच्छी खबर ये है कि इस बार छात्रों की फीस नहीं बढ़ाई गई है। विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले छात्रों को पहली बार स्कॉलरशिप देने की व्यवस्था की गई है। मंगलवार को वित्त समिति की बैठक में इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान कर दिया गया।
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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा की अध्यक्षता में वित्त समिति की बैठक हुई। पहली बार शोध छात्रों की स्कॉलरशिप के लिए 10 लाख रुपये की व्यवस्था की गई है। सेमिनार के लिए 25 लाख रुपये के बजट को बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दिया गया है। प्रचार-प्रसार और लेक्चर के लिए 10 लाख रुपये का बजट पास किया गया है। साहित्यिक व सांस्कृतिक परिषद के लिए पिछले वर्ष सात लाख रुपये का बजट रखा गया था, उसे भी बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दिया गया है।
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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के कार्यक्रमों के लिए पांच लाख रुपये के बजट को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है। कांशीराम शोध पीठ के लिए पांच लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इस बैठक की रूपरेखा वित्त अधिकारी अनिल कुमार अग्रवाल ने तय की। इस बैठक में प्रो. एचएस सिंह, एके सिंह, डा. राजीव गुप्ता, रजिस्ट्रार ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।
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छात्रों को मिलेंगी नई किताबें
इस बार से विश्वविद्यालय में छात्र-छात्रओं को नई और अच्छी किताबें पढ़ने को मिलेगी। शैक्षणिक से लेकर हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए छात्रों को किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए विश्वविद्यालय ने पुस्तकालय के लिए एक करोड़ 75 लाख रुपये का बजट रखा है। सेल्फ फाइनेंस विभागों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए पहली बार विश्वविद्यालय ने पुस्तक खरीदने के लिए भी बजट का प्रावधान किया है, इसमें किताब खरीदने के लिए 35 लाख रुपये दिए गए हैं।
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शोध को मिलेगा बढ़ावा
विश्वविद्यालय में शोध को प्रोत्साहित करने के लिए 15 लाख रुपये और प्रकाशन के लिए पांच लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। विश्वविद्यालय में साइंस और गैर साइंस के विभागों में उपकरणों की खरीद और रखरखाव के लिए दो करोड़ 70 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। सेल्फ फाइनेंस विभागों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए पहली बार विश्वविद्यालय ने पुस्तक खरीदने के लिए बजट का प्रावधान किया है। इसमें किताब खरीदने के लिए 35 लाख रुपये दिए गए हैं।
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विश्वविद्यालय के बजट में यह भी मदन मोहन विद्या मंदिर के लिए 35 लाख रुपये का बजट तय, पहले यह 25 लाख रुपये था। कर्मचारियों के बच्चों के लिए 750 रुपये शिक्षा भत्ता दिया गया, जो दो बच्चों को मिलेगा। सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के लिए भी पद सृजित कर दिए गए हैं, जिनके लिए वित्तीय प्रावधान किए जाने का भी निर्णय हुआ है। कुलपति के विवेकाधीन कोष को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख और 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है। विवि के ऑटोमेशन के लिए दो करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे कैंपस को पूरी तरह से डिजिटल बनाया जाएगा।
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दैनिक कर्मचारियों का वेतन बढ़ा, ईपीएफ भी लागू विवि में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। तृतीय श्रेणी के कुशल कर्मियों को 11 हजार 500 के स्थान पर 14 हजार रुपये वेतन कर दिया गया। अकुशल चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार 500 रुपये कर दिया गया। सभी वेतनभोगियों को ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) की भी सुविधा मिलेगी। एक अप्रैल 2018 से कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतन का लाभ मिलेगा।
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विवि ने ईपीएफ के लिए 31 लाख रुपये का प्रावधान किया है। वित्तीय प्रबंधन में आत्मनिर्भर विवि को शासन से केवल पांच करोड़ रुपये का ही अनुदान मिला था, लेकिन विवि ने अपने स्रोत से आय को बढ़ाया। वित्तीय वर्ष 2017-18 में विवि को 144 करोड़ की आय हुई, जिसमें जिन मदों से सबसे अधिक आय हुई, उनमें 45 करोड़ रुपये नियमित और 45 करोड़ रुपये सेल्फ फाइनेंस कोर्स की फीस से आए। विश्वविद्यालय ने 143 करोड़ का खर्चा दिखाया है। इसमें 25 करोड़ बिल्डिंग मद में, 30 करोड़ वेतन और 39 करोड़ रुपये परीक्षा में खर्च हुए हैं। इसके बाद भी विवि को 1 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।

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