दरअसल, कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद की जीत अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। यही वजह है कि जीत की खूशी का इजहार करने के लिए अजित सिंह ने कैराना में ही महागठबंधन के लिए जश्न का ऐलान किया है। हालांकि, अभी इस जश्न की तारीख की कोई घोषणा नहीं की गई है। लेकिन माना जा रहा है कि ईद के बाद जून के अंतिम सप्ताह में रालोद इस महाआयोजन को करेगा। रालोद के इस महाआयोजन को लेकर भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी से जब पत्रिका ने बात की तो उनका कहना था कि जो खत्म हो चुका हो, उसके बारे में क्या बात करनी। लेकिन 2019 के प्रस्तावित महागठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि रालोद के मुखिया अजित सिंह 2019 को लेकर जो सपना देख रहे हैं, वह हकीकत में पूरे होने वाले नहीं है। रालोद को कैराना गठबंधन की बैसाखी के सहारे मिला है। गठबंधन ने जो बैसाखी उन्हें अभी दी है, वह उनसे 2019 में छीन लेगा। तब क्या करेंगे।
वाजपेयी ने कहा कि रालोद का वजूद अब खत्म हो गया है। चौधरी अजित सिंह अपने पिता की विरासत और उनके उसूलों पर नहीं चले। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने हमेशा किसानों और उसूलों की राजनीति की। अपने निजी हितों को कभी अपने उसूलों के आगे नहीं आने दिया। लेकिन अजित सिंह ने हमेशा मौके और अपने फायदे की राजनीति की। वे हमेशा सत्ता सुख के ही करीब रहे। सत्ता के लिए उन्होंने सभी दलों से समझौता किया। रालोद ऐसा दल है, जिसने सभी दलों से अपने हितों के लिए गठबंधन किया। अजित अपने दम पर कोई राजनीति नहीं कर सकते। वाजपेयी ने कहा कि उपचुनाव की जीत से कुछ नहीं होता। इस समय लहर नरेन्द्र मोदी की चल रही है और 2019 में भी सरकार भाजपा की ही बनेगी। सत्ता के लालची लोगों का गठबंधन 2019 में नरेन्द्र मोदी की आंधी में उड़ जाएंगा।