यह भी देखेंः
लखनऊ के बाद यूपी के इस विश्वविद्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी पर हुए सबसे ज्यादा शोध वेस्ट यूपी में हार्इकोर्ट बेंच का मुद्दा वेस्ट यूपी मे हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर संसद के भीतर अगर सबसे पहले कोई आवाज गूंजी थी तो वह अटल बिहारी वाजपेयी की। उनके इस सवाल को संसद में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने जवाब भी दिया था। हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिम उप्र के पूर्व चेयरमैन अधिवक्ता डीडी शर्मा कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 जुलाई वर्ष 1986 को संसद में पश्चिम उप्र का सबसे ज्वलंत मुद्दा हाईकोर्ट बेंच की मांग को उठाया था। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर मेरठ में हड़ताल भी चल रही थी। संसद में प्रश्न करते हुए अटल ने यह पूछा था कि केंद्र सरकार क्यों नहीं पश्चिमी उप्र में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना के लिए समय की घोषणा करती। उनके सवाल पर पूर्व कानून मंत्री ने यह जवाब दिया था कि हम सैद्धांतिक रूप से तैयार हैं। यह निर्णय हो चुका है कि बेंच वेस्ट यूपी में ही होगी, लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोग जहां स्वीकार करेंगे वहां पर यह होगी। हालांकि जब वह प्रधानमंत्री बने तो अधिवक्ताओं ने उनके समक्ष यह मांग रखी। तब उन्होंने यह भी कहा था कि कभी-कभी गवाह भी पक्षद्रोही हो जाता है।
यह भी देखेंः
मेरठ में अटल बिहारी वाजपेयी को दी गर्इ श्रद्धांजलि, देखें तस्वीरें जन्मदिन पर भी मिले थे अधिवक्ता 25 दिसंबर 2014 को डीडी शर्मा व संयोजक अनिल जंगाला के नेतृत्व में पूर्व प्रधानमंत्री के जन्म दिवस पर एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला था। इसमें गाजियाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल तोमर, सुरेंद्र सिंह राठी व मेरठ के कई अधिवक्ता शामिल थे। पश्चिमी उप्र में हाई कोर्ट बेंच की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने गाजियाबाद जिले से पैदल मार्च किया था। उन्हें ज्ञापन देने का निर्णय किया था। तब पुलिस ने पैदल मार्च को दिल्ली में सीमा पर ही रोक लिया था। डीडी शर्मा ने ‘पत्रिका’ को बताया कि पुलिस अधिकारियों के साथ अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल अटलजी के पास ले जाया गया। जहां हाई कोर्ट बेंच की मांग को लेकर ज्ञापन दिया। डीडी शर्मा का कहना है कि अटल जी हमेशा से बेंच के पक्षधर रहे, लेकिन दूसरे अन्य कारणों के चलते बेंच उनके समय में बेंच नहीं आ सकी। यह कारण राजनीतिक व अन्य हो सकते हैं।