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Exclusive: अटल जी के साथ में इस भाजपा नेत्री ने बिछार्इ थीं दरियां, जानिए कुछ रोचक किस्‍से

भाजपा नेत्री को छोटी बहन मानते थे, प्रधानमंत्री बनने के बाद होती थी बातचीत
 

मेरठAug 16, 2018 / 03:19 pm

sanjay sharma

केपी त्रिपाठी, मेरठ। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत दिल्ली के एम्स में स्थिर बनी हुर्इ है। उनके समर्थक और भाजपा कार्यकर्ता उनकी सेहत के लिए भगवान से दुआ मांग रहे हैं। मेरठ में भी उनके समर्थकों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन इनमें चुनिंदा लोग ही ऐसे हैं जिनके साथ अटल जी ने काम किया या जो जनसंघ के जमाने से अटल जी के साथ जुड़े रहे। मेरठ में ऐसे तीन लोग हैं जो अटल के साथ जनसंघ के समय से काम करते थे और अटल बिहारी वाजपेयी के घर के दरवाजे इन तीनों के लिए हमेशा खुले रहे। इनमें से पहले थे मोहनलाल कपूर जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके घर पर अटल जी और मोहन लाल कपूर से जुड़े संस्मरण परिजनों ने आज भी संजो रखे हैं। दूसरी हैं श्रीमती शकुंतला कौशिक, जाे काफी बुजुर्ग हो चली हैं और बीमार होने के बावजूद जब उन्हाेंने सुना कि अटल जी बीमार हैं और एम्स में भर्ती है तो बड़े जोर से नारा लगाती हैं भारत मां की जय!
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भाजपा नेत्री शकुंतला कौशिक के संस्मरण

उनकी पुत्रवधू श्रीमती वर्षा कौशिक जो कि भाजपा महिला मोर्चा में सक्रिय हैं। ‘पत्रिका’ से बातचीत करते हुए उन्होंने उन संस्मरणों को साझा किया जो शकुंतला कौशिक जी उन्हें बताया करती हैं। बकौल वर्षा अटल जी जब भी मेरठ आए और कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होते थे, उस दौरान भाजपा के गिने-चुने लोग ही होते थे। अटल बिहारी वाजपेयी खुद ही अपने हाथों से दरियां बिछाया करते थे।
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प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएमआे से आया था फोन

शकुंतला कौशिक को छोटी बहन मानने वाले अटल जी जब प्रधानमंत्री बने तो उनके घर पीएमओ से फोन आया और अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा कि क्या अपने भाई को मिठाई खिलाने नहीं आएगी बहन। अटल से बात कर शकुंतला जी तुरंत दिल्ली गई उनसे मिलने के लिए। वर्षा जी अपनी सास शकुंतला के संस्मरणों को बताते हुए कहती है कि वह दौर कुछ और ही था। आज की तरह बड़े नेताओं से मिलने के लिए लाइन नहीं लगानी पड़ती थी।
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वह कहते थे- भाजपा के नेता ने कार्यकर्ता हैं

अटल जी कहा करते थे वह नेता नहीं भाजपा के कार्यकर्ता हैं। उनसे मिलने के लिए किसी को कभी एक घंटे से अधिक का इंतजार नहीं करना पड़ा। वर्षा कौशिक बताती है कि वे दो बार अपनी सास शकुंतला कौशिक के साथ अटल जी से मिलने उनके आवास पर पहुंची और वहां पहुंचने पर उन्हें ऐसा लगता था कि वे अपने घर पर आई हैं। अटल जी के घर में भी इतनी सादगी दिखाई देती थी कि सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी दूर से आने वाले को इस बात का आभास नहीं होता था कि कोर्इ इतने बड़े नेता से मिलने के लिए दिल्ली आया है।
रिक्शा से अटल जी के आने की सूचना घर-घर देते थे

वर्षा बताती हैं कि आजकल तो मोबाइल और वाट्सएेप का दौर है। बड़े नेता के आने की सूचना पहले ही पता चल जाती है, लेकिन शकुंतला जी ने उन्हें बताया कि वह दौर दूसरा ही था जब अटल जी मेरठ आते थे तो शकुंतला जी एक रिक्शा करती थी और तीन दिन तक घर-घर जाकर लोगों को अटल जी के मेरठ आने की सूचना दिया करती थी।

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