इस दौरान ना तो वह किसी से मिल सकती है और ना बाहर निकल सकती है। इद्दत के लिए शाइस्ता परवीन भूमिगत हो सकती है। शाइस्ता को खुद को जमाने से छिपाने की चुनौती है। वहीं यूपी पुलिस और एसटीएफ को उसको तलाशने की चुनौती है।
बेटे असद और शौहर अतीक अहमद के दफीने के दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि शाइस्ता परवीन वहां जा सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कयास लगाए जा रहे हैं कि शाइस्ता परवीन इद्दत के लिए किसी सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच सकती है। जहां पर वह तसल्ली पूर्वक इद्दत का समय पूरा कर सके। हालांकि जो माहौल है उसमें शाइस्ता के लिए इद्दत का समय पूरा करना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।
क्या है इद्दत
इमाम मुफ्ती जमीर बेग के मुताबिक शौहर के इंतकाल के बाद महिला को 4 महीने 10 दिन इद्दत में रहना होता है। इद्दत का मतलब शौहर की मौत पर शोक मनाना होता है।
ऐसी महिला को एकांत में रहकर शरीयत के नियमों का पालन करना होता है। इद्दत के दौरान विधवा महिला ना तो श्रृंगार कर सकती है और ना डिजाइदार कपड़े पहन सकती है। उसको बाहर निकलने की भी मनाही होती है। वह किसी दूसरे व्यक्ति से भी नहीं मिल सकती है। इद्दत के बाद ही महिला अपनी जिंदगी कै फैसले लेती है।