scriptTriple Talaq Law: कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की आई कमी, मुस्लिम महिलाओं ने कही ये बात | 80 percent reduction in triple talaq cases after becoming law | Patrika News
मेरठ

Triple Talaq Law: कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की आई कमी, मुस्लिम महिलाओं ने कही ये बात

Triple Talaq Law: ट्रिपल तलाक कानून जब से बना उसके बाद से तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। मुस्लिम समाज की महिलाओं का ऐसा मानना है। वहीं अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव के बयान पर मुस्लिम महिलाओं में रोष है। मुस्लिम महिलाओं ने उनके इस बयान को निंदनीय बताया और कहा कि वे वैवाहिक दुर्व्यवहार और धमकी को रोकने के बजाए पुरूष समाज को तलाक के प्रति बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।

मेरठNov 09, 2021 / 12:13 pm

Nitish Pandey

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Triple Talaq Law: ट्रिपल तलाक कानून या मुस्लिम महिला अधिनियम 2019 को लेकर अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी के कार्यवाहक महासचिव खालिद रहमानी ने एक बयान जारी कर इसकी आलोचना की थी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इसने मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को खराब कर दिया है। उन्होंने उन मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक बहिष्कार की धमकी भी दी। जिन्हें इस कानून से लाभ हुआ है। उनके इस बयान को लेकर मुस्लिम महिलाओं में रोष है।
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मेरठ में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजिका शाहीन परवीन ने इस मामले में मुस्लिम महिलाओं की एक बैठक बुलाई और खालिद के बयान की जमकर भर्तसना की। उन्होंने कहा कि एआईएमपीएलबी का बयान चौंकाने वाला है कि महिलाओं को वैवाहिक दुर्व्यवहार और धमकी से रोकने के लिए अस्तित्व में आए एक कानून की अब आलोचना की जा रही है और मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को खराब करने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। अगर इस कानून ने भारत में मुस्लिम महिलाओं की स्थिति खराब कर दी है, तो क्या हम उन सभी मुस्लिम देशों के लिए एक ही दावा कर सकते हैं जिन्होंने तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है?
उन्होंने ट्रिपल तलाक कानून का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 ने ट्रिपल तालाक का संज्ञान लिया जब पीड़ित महिलाएं अधिकारियों को रिपोर्ट करती हैं। उन्होंने कहा कि एआईएमपीएलबी ने मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी ताकि उन्हें पुलिस के पास जाने से रोका जा सके।
डॉ. अस्मा ज़ेहरा साहेबा (मुख्य आयोजक महिला विंग AIMPLB) द्वारा दावा किया गया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा इसे खारिज किए जाने पर ऐसा खतरा क्यों है?। उन्होंने कहा कि जब से यह कानून बना है और लागू हुआ है तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। मुस्लिम महिलाओं ने एक सुर में कहा कि यह स्वास्थ्य परिवार और समाज के लिए बहुत अच्छा कदम है क्योंकि शादी जिंदगी की नींच है और इसको मजबूत किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित मुस्लिम महिलाओं ने एक सुर में कहा कि एआईएमपीएलबी को बयान वापस लेना चाहिए और सभी महिलाओं विशेषकर मुस्लिम महिलाओं से उत्पीड़न और वैवाहिक शोषण का समर्थन करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।

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