मेरठ में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजिका शाहीन परवीन ने इस मामले में मुस्लिम महिलाओं की एक बैठक बुलाई और खालिद के बयान की जमकर भर्तसना की। उन्होंने कहा कि एआईएमपीएलबी का बयान चौंकाने वाला है कि महिलाओं को वैवाहिक दुर्व्यवहार और धमकी से रोकने के लिए अस्तित्व में आए एक कानून की अब आलोचना की जा रही है और मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को खराब करने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। अगर इस कानून ने भारत में मुस्लिम महिलाओं की स्थिति खराब कर दी है, तो क्या हम उन सभी मुस्लिम देशों के लिए एक ही दावा कर सकते हैं जिन्होंने तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है?
उन्होंने ट्रिपल तलाक कानून का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 ने ट्रिपल तालाक का संज्ञान लिया जब पीड़ित महिलाएं अधिकारियों को रिपोर्ट करती हैं। उन्होंने कहा कि एआईएमपीएलबी ने मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी ताकि उन्हें पुलिस के पास जाने से रोका जा सके।
डॉ. अस्मा ज़ेहरा साहेबा (मुख्य आयोजक महिला विंग AIMPLB) द्वारा दावा किया गया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा इसे खारिज किए जाने पर ऐसा खतरा क्यों है?। उन्होंने कहा कि जब से यह कानून बना है और लागू हुआ है तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। मुस्लिम महिलाओं ने एक सुर में कहा कि यह स्वास्थ्य परिवार और समाज के लिए बहुत अच्छा कदम है क्योंकि शादी जिंदगी की नींच है और इसको मजबूत किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित मुस्लिम महिलाओं ने एक सुर में कहा कि एआईएमपीएलबी को बयान वापस लेना चाहिए और सभी महिलाओं विशेषकर मुस्लिम महिलाओं से उत्पीड़न और वैवाहिक शोषण का समर्थन करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।