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मेरठ

21 माह की इशानी को लगा 16 करोड़ का इंजेक्शन, इस खतरनाक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है मासूम

मेरठ के ब्रह्मपुरी की रहने वाली मासूम इशानी है स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी टाइप टू बीमारी से ग्रसित, एम्स दिल्ली में इशानी को लगाया गया 16 करोड़ का इंजेक्शन।

मेरठJun 20, 2021 / 10:58 am

lokesh verma

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप टू’ (Spinal Muscular Atrophy Type 2) जैसी खतरनाक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही मेरठ की 21 माह की इशानी (Ishani) को 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया है। ब्रह्मपुरी की रहने वाली इशानी के पास मात्र तीन महीने ही बचे थे, अगर उसे यह इंजेक्शन नहीं दिया जाता तो उसका बचना बेहद मुश्किल था। डॉक्टरों के अनुसार, इस खतरनाक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे बच्चों को यह इंजेक्शन दो साल की उम्र के भीतर ही लग सकता है। इंजेक्शन लगने के बाद इशानी अब 6 महीने तक चिकित्सकों की निगरानी में रहेगी। वह हर रोज मौत से लड़ रही है।
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बता दें कि इशानी को बचाने के लिए जोलजेनस्मा इंजेक्शन दिया जाना था। यह इंजेक्शन स्विटजरलैंड की एक दवा कंपनी बनाती है और इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है। इनाशी के पिता अभिषेक शर्मा एक निजी कम्पनी में नौकरी करते हैं। ऐसे में उसके पिता के लिए 16 करोड़ का इंजेक्शन जुटाना आसान नहीं था। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पैसा जुटाने की कोशिश की, मगर नाकाम रहे। इसी बीच उन्हें पता चला कि 16 करोड़ का इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी हर साल दुनियाभर में 100 बच्चों को नि:शुल्क इंजेक्शन उपलब्ध कराती है तो उन्होंने भी इसके लिए आवेदन कर दिया और कंपनी ने इशानी को चुन लिया।
छोड़ दी थी उम्मीद

मासूम इशानी की मां नीलम शर्मा ने बताया कि दिल्ली के एम्स (AIMS Delhi) में उनकी बेटी को 17 जून को 16 करोड़ वाला इंजेक्शन दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन भगवान ने हमारी सुन ली। उन्होंने इंजेक्शन मुफ्त देने के लिए नोवार्टिस कंपनी का शुक्रिया अदा किया है।
ये है स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी बीमारी

स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (SMA Disease) बेहद गंभीर और दुर्लभ बीमारी है। इससे शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता है। इस बीमारी में मांसपेशियां और तंत्रिकाएं खत्म होनी शुरू हो जाती हैं। इसमें दिमाग की मांसपेशियां भी एक्टिविटी कम करना शुरू कर देती हैं। दिमाग से सभी मांसपेशियों का संचालन होता है। इसलिए मरीज को सांस लेने के साथ भोजन चबाने तक में परेशानी शुरू हो जाती है।
एक बच्चे को एक बार ही लगता है इंजेक्शन

बता दें कि स्विटजरलैंड की कम्पनी नोवार्टिस 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन बनाती है। नोवार्टिस का दावा है कि यह इंजेक्शन एक प्रकार का जीन थैरेपी उपचार है। इस इंजेक्शन को मात्र एक बार ही एक मरीज को लगाया जाता है। स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी से ग्रसित कम से कम दो साल के बच्चों को यह इंजेक्शन लगाया जाता है। इसलिए यह इंजेक्शन काफी महंगा है।

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