मुगल काल में गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक यह भरत मिलाप कालांतर में मजहबी जंग की एक वजह बना। 2005 में हुए मजहबी दंगों की वजह से प्रशासन जब तक भरत मिलाप संपन्न नहीं हो जाता तब तक काफी सक्रिय होता है।
शाही मस्जिद के गेट से टकराता है राम विमान
बताया जाता है कि मऊ के शाही कटरे में होने वाले भरत मिलाप को देखने औरंगजेब की बेटी जहां आरा खुद मस्जिद की खिड़कियों पर बैठती थी। उन्हीं के द्वारा यहां की रामलीला की शुरुआत कराई गई थी। जहां आरा प्रभु श्री राम के अयोध्या लौटने पर खुद उनकी आरती उतारने मस्जिद की सीढ़ियों पर मौजूद रहती थी। जहां आरा के बाद भी ये परंपरा बदस्तूर जारी रही और गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक बनी रही।
भरत मिलाप के लिए प्रभु श्री राम का सजाया हुआ विमान शीतला मंदिर से चलकर शाही कटरा मस्जिद तक पहुंचता है। यहां पर परंपरानुसार प्रभु का विमान तीन बार मस्जिद के गेट को स्पर्श करता है। इसके बाद प्रभु का 14 साल बाद भाई भरत से मिलाप होता है।

इस ऐतिहासिक मिलाप को देखने के लिए शाही कटरा मैदान पर भारी भीड़ इकट्ठा होती है।
दोनों भाइयों का भावुक मिलन देखकर लोगों की आंखों से अश्रुधारा बह निकलती है। पौ फटने के साथ ही अजान और जय श्रीराम के उद्घोष के साथ ही यह मिलाप संपन्न हो जाता है।