एक ऐसा मंदिर, जिसमें मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा भी है
मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर की नींव 1965 में रखी गई थी। पागल बाबा ने इस मंदिर की नींव को खुद ही रखा था। 24 जुलाई 1980 को पागल बाबा ने जिंदा समाधि ले ली थी। इसके बाद 1981 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई। पागल बाबा मंदिर की लंबाई 150 फीट है, चौड़ाई 120 फ़ीट और ऊंचाई 221 फीट है।पागल बाबा ने कोई भी शिष्य परंपरा नहीं चलाई। उन्होंने इस भव्य मंदिर के संचालन के लिए 1976 में एक रजिस्टर्ड पत्र अंकित किया था, उसे आज भी बाबा का ट्रस्ट मानता है। इसमें मथुरा के जिलाधिकारी को अध्यक्ष और जनपद के मुख्य न्यायाधीश को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है और ये दोनों पदाधिकारी ही अपने स्वयं के विवेक से ब्रजभूमि के श्रेष्ठ भक्तजनों में से तीन व्यक्तियों को मनोनीत करेंगे। इस प्रकार 5 व्यक्तियों का एक ट्रस्ट बना। पागल बाबा के मंदिर की यही लोग सारी व्यवस्थाओं को आज भी देखते हैं।