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मथुरा

पांच हजार वर्ष से खुले में विराजमान हैं माँ चन्द्रावली, नहीं बनने देती हैं मंदिर

मथुरा से करीब 20 किलोमीटर दूर थाना महावन क्षेत्र के महावन-यमुनापार मार्ग स्थित विराजमान है मां चंद्रावली।

मथुराMar 08, 2021 / 04:29 pm

arun rawat

maa chandravali

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पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। हजारों सालों से भगवान श्री कृष्ण के वापस आने की राह देख रही मां चंद्रावली वट वृक्ष के नीचे विराजमान होकर आज भी अपने भक्तों को दर्शन देती है। क्यों मां चंद्रावली अपना मंदिर नहीं बनने देती हैं। मंदिर ना बनाने के पीछे रहस्य।
मान्यता के अनुसार मां चंद्रावली राधा की प्रिय सहेलियों में से एक थी। भगवान श्री कृष्ण से गोकुल आने की जिद करती थी भगवान श्री कृष्ण ने करीब साढे पाँच हजार साल पहले राधा रानी की सहेली को वह अपने साथ अपने पिता नंद राय से मिलाने के लिए लेकर आए। गोकुल से 3 किलोमीटर दूर चंदा थक गई और भगवान श्रीकृष्ण से उन्होंने रोकने को कहा भगवान श्री कृष्ण के द्वारा चंदा से अपने पिता नंदराय को यहां लाकर मिलवाने की बात कहकर चले गए। राधा की प्रिय सहेली चंदा यहां चंद्रावली मां के नाम से विख्यात हो गई। मां चंद्रावली खुले बट वृक्ष के नीचे विराजमान है और कहा यह भी जाता है कि मां चंद्रावली जहां बैठकर भगवान श्री कृष्ण के वापस आने का इंतजार कर रही हैं।
मंदिर नहीं बनाने देती मां
मां चंद्रावली मंदिर की पुजारिन ओमवती देवी से जब बात की तो उन्होंने बताया कई बार हम लोगों ने मंदिर बनाने का प्रयास किया लेकिन मैं नहीं चाहती कि हम मंदिर बनाएं। खुले आसमान के नीचे रहकर मां भक्तों को दर्शन देती हैं कई बार मंदिर बनाने की कोशिश की गई तो कुछ ना कुछ अड़चन मंदिर बनाने में आ जाती है। खुले में वटवृक्ष के नीचे रहना चाहती हैं मां चंद्रावली ।
सच्चे मन से मांगो मिलता है फल
चंद्रावली मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी अरदास लेकर आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। हर सोमवार को मां चंद्रावली मंदिर में भव्य मेला लगता है और हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मां चंद्रावली के दर्शन के लिए आते हैं।
4 पिलर लगे नहींं बना मंदिर
यहां आने वाले श्रद्धालु सच्चे मन से मां के दर्शन कर मनौती मांगते हैं। श्रद्धालुओं से जब यहां की मान्यता के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम लगातार 15 साल से दर्शन के लिए आ रहे हैं और मंदिर में केवल 4 किलर लगे हैं गुंबद अभी तक नहीं बनी ऐसा सुना है की मां अपना मंदिर बनवाना नहीं चाहती खुले में रहना मां को पसंद है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने ऐसा सुना है मंदिर बनाने की कोशिश की गई तो पुजारी को कई बार सपने आए और उन्हें मंदिर ना बनाने की मां ने कहा।

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