श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पूर्व ही बाल गोपाल के लिए पोशाक बनाने का काम शुरू हो जाता है। भगवान को जन्म के साथ नई पोशाक पहनाई जाती है। ऐसे में मथुरा और वृदांवन आने वाले श्रद्धालु यहां से बाल गोपाल के लिए पोशाक ले जाते हैं। यहां बड़े स्तर पर भगवान की पोशाक बनाने का काम होता है। हैरत की बात तो ये है कि हिन्दू से अधिक मुस्लिम कारीगरों द्वारा भगवान के पोशाक तैयार किए जाते हैं।
वृन्दावन में रंग-बिरंगी बनी पोशाक देश में ही नहीं वरन विदेशों में भी काफी लोकप्रिय है। कान्हा का जन्म दिन नजदीक है और उनकी पोशाकों को बनाने का काम भी चरम पर चल रहा है। पोशाकों को बनाने का काम जहां हिन्दू करते हैं वहीं 70 फीसद मुस्लिम कारीगर बेजोड़ कारीगरी करके इन पोशाकों को तैयार करते हैं। श्रद्धालु भी यहां की बेजोड़ कारीगरी के मुरीद बन गये हैं। इस बार ठाकुर जी मोतियों और स्टोन से बनी पचरंगी पोशाकों में अपनी अलग ही छटा बिखेरेंगे। पोशाक व्यापारी विपिन अग्रवाल का कहना है की इस बार नई-नई डिजाइनों की बड़ी सुन्दर-सुन्दर पोशाकें तैयार की जा रही हैं।
भगवान के श्रृंगार और पोशाकों की भी नई-नई वैरायटी बाजार में नजर आ रही हैं। आजकल तो डिजाइनर पोशाकों का ट्रेंड आ गया है। पोशाक बनाने बाले कारीगर मुहम्मद वकार ने बताया उनके यहां से देश विदेश में पोशाक जाती हैं। लोग ऑर्डर करके अपनी मनपसंद डिजाइन की पोशाक तैयार कराने आते हैं। पोशाक बनाने का काम को पिछले 20 साल से कर रहे हैं।
पोशाक विक्रेता आशीष ने बताया कि उनके यहां 100 रुपए से लेकर हजारों रुपये तक की पोशाक तैयार रहती हैं। जिन्हें लोग बड़ी आस्था के साथ बाल गोपाल के लिए खरीद कर ले जाते हैं।