क्या है कृष्णजन्मभूमि का कानूनी विवाद 1940 में मथुरा आए पंडित मदनमोहन मालवीय श्रीकृष्णजन्मस्थान की दुर्दशा देखकर काफी निराश हुए। 1943 में उद्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला यहां आए और जन्मभूमि की दुर्दशा देखकर दुखी हुए। बाद में मालवीय की इच्छा पर उन्होंने सात फरवरी 1944 को कटरा केशव देव को राजा पटनीमल से तत्कालीन उत्तराधिकारियों से खरीद लिया। इसके बाद 1951 में यह तय किया गया था कि यहां दोबारा कृष्ण मंदिर बनवाया जाएगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। बिड़ला ने इसी साल ट्रस्ट की स्थापना की।1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया था। कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं।
1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दायर किया, लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया। मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी। मुस्लिम पक्ष को पास की जगह दे दी गई थी। आज जिस जगह मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। वर्तमान में कोर्ट में जमीन के लेकर याचिका दी गई है, जिसमें इस बात के तहत 1968 में सेवा संघ द्वारा किए गए जमीन के समझौते को गलत बताया गया है।
ये भी पढ़ें: राम मंदिर निर्माण की कार्यशाला के लिए बोरिंग, तराशी का काम तेज सिकंदर लोदी ने नष्ट कराया तीसरा विशाल मंदिर इतिहासकारों का मानना है कि सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में दूसरा मंदिर 400 ई. में बनवाया गया था। वहीं खुदाई में मिले एक शिलालेख से मालूम हुआ कि 1150 ईं. में राजा विजयपाल देव के शासनकाल में जज नाम के व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक विशाल मंदिर बनवाया था, लेकिन इसको सोलवीं शताब्दी की शुरुआत में सिकंदर लोदी के शासनकाल में नष्ट करवा दिया गया था।
चौथी बार बना मंदिर औरंगजेब ने तुड़वाया मुगल शासक जहांगीर के शासनकाल में ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने चौथी बार मंदिर का निर्माण करवाया था वह भी इसी स्थान पर। लेकिन मंदिर की भव्यता से चिढ़कर औरंगजेब ने 1669 इसे तुड़वा दिया था और इसके भाग पर ईदगाह का निर्माण कराया गया था।
कब्जा हटाकर मंदिर का निर्माण श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य देवमोरारी बापू ने कहा है कि 22 प्रदेशों के 250 संतों की यही मांग है कि भगवान श्रीराम की तहर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर हुए कब्जे को खाली कराकर भव्य श्रीकृष्ण जन्मस्थान बनवाया जाए। यही मांग अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व संतों ने भी की है।
ये भी पढ़ें: गरीबी रेखा से नीचे रह रहे बेरोजगार युवाओं को सिलाई कढ़ाई मशीन देगी सरकार विवादित स्थल को बाल श्रीकृष्ण जन्मस्थान घोषित करने की मांग इससे पहले मथुरा के सिविल जज की अदालत में एक और वाद दाखिल हुआ था जिसे श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान और ट्रस्ट के बीच समझौते के आधार पर बंद कर दिया गया। 20 जुलाई 1973 को इस संबंध में कोर्ट ने एक निर्णय दिया था। अभी के वाद में अदालत के उस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि विवादित स्थल को बाल श्रीकृष्ण का जन्मस्थान घोषित किया जाए।