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ये है मामलाथाना वृंदावन कोतवाली की गोविंद बाग क्षेत्र में बंदरों का आतंक इस कदर हावी है कि कोई ना कोई इन बंदरों का शिकार बन ही जाता है। गोपाल बाग के रहने वाले निकुंज गोयल अपने घर से दुकान पर गए और कुछ घंटे बीत जाने के बाद वह स्कूटी से वापस घर लौटे। जैसे ही निकुंज अपने घर में घुसते, उससे पहले बंदरों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। बंदरों के इस हमले में निकुंज घायल हो गए। जैसे तैसे बंदरों से निकुंज ने अपनी जान बचाई। पूरा वीडियो पास के मकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। बंदरों के इस हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। कैमरे में साफ तौर से देखा जा सकता है के बंदर किस तरह से आक्रामक होते दिख रहे हैं और आए दिन किसी ना किसी व्यक्ति को इनके हमले का शिकार होना पड़ता है।
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पिछले महीने बेटी पर हुआ हमला
निकुंज ने बताया कि जैसे ही मैं घर में घुसने वाला था, मुझे करीब आधा दर्जन बंदरों ने घेर लिया और हमला कर दिया। कई जगह मुझे काटा और दो जगह मुझे गिरा लिया। काफी देर तक मेरे पीछे बंदर लगे रहे थे। मेरे पास कोई खाने की सामग्री नहीं थी। मैं खाली हाथ था। पिछले माह मेरी बच्ची को भी काट लिया था। हम लोग यह विचार कर रहे हैं कि वृंदावन में रहें या बाहर जाएं।
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सांसद और मंत्री ने दिया था आश्वासन
वार्ड पार्षद वैभव अग्रवाल ने बताया कि मंत्री और सांसद ने यह आश्वासन दिया है कि जल्द ही बंदरों के लिए जगह निश्चित की जाएगी। ऐसा कोई दिन नहीं होता कि बंदर किसी श्रद्धालु या स्थानीय लोगों को घायल ना करते हों। वृंदावन के बंदरों को पकड़ने के लिए मुहिम चलाई गई लेकिन उसका कहीं भी असर देखने को नहीं मिला। अब सवाल यह है कि क्या इसी तरह से आए दिन लोग बंदरों के हमले में घायल होते रहेंगे या फिर इन्हें यहाँ से कहीं और रखा जाएगा।
लोगों का कहना है पहले फलदार बगीचे और वृक्ष हुआ करते थे। सुख सुविधा को देखते हुए लोगों ने उन्हें काटना शुरू कर दिया तो बंदरों का पलायन जंगलों से शहरों की ओर हो गया। जंगलों में यह लोग फल फूल पत्तियां खाकर जीवित रहते थे। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो इन्हें खाने के लिए मिल रहा है और ना ही इंसानों को देखकर यह अच्छा महसूस कर रहे हैं। बंदरों के हमले का एक कारण यह भी है। उन्होंने कहा कि बंदर भूखा रहे तो वह किसी भी हद तक खाना पाने के लिए जा सकता है। इसीलिए यह बंदर आए दिन लोगों पर हमला करते हैं और आक्रामक होते जा रहे हैं।