मथुरा

महाशिवरात्रि 2020: ब्रज में है ऐसा शिव मंदिर जहां महादेव का होता है सोलह श्रंगार, फिर की जाती है पूजा

 
 
मथुरा के वृंदावन में विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां महादेव गोपी रूप में विराजमान हैं। इन्हें गोपेश्वर महादेव कहा जाता है।

मथुराFeb 21, 2020 / 10:38 am

suchita mishra

गोपेश्वर महादेव

मथुरा। मथुरा और वृंदावन कृष्ण की लीलास्थली के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहां भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों संग मिलकर तमाम लीलाएं की हैं। भगवान कृष्ण की लीला का आनंद लेने एक बार भोलेनाथ भी कृष्ण नगरी गोपी का रूप रखकर पहुंचे थे। महादेव के उस रूप को गोपेश्वर महादेव कहा गया। उस रूप में उनका एक मंदिर आज भी वृंदावन में स्थित है। गोपेश्वर महादेव विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां महादेव गोपी रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में भगवान शिव का गोपियों की तरह सोलह श्रंगार कर पूजन किया जाता है। गोपेश्वर महादेव के दर्शन व सोलह श्रृंगार देखने के लिए देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। आज महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए भोलेनाथ के गोपेश्वर महादेव रूप की कथा के बारे में।
ये है मान्यता
मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने जब गोपियों के साथ महारास किया था तो इस मनोहरी दृश्य को देखने के लिए 33 कोटि देवता पृथ्वीलोक पर आए थे, लेकिन उन्हें महारास में शामिल नहीं होने दिया गया। इसका कारण था कि महारास में केवल महिलाएं ही शामिल हो सकती थीं। लिहाजा सभी देवताओं को वहां से वापस लौटना पड़ा। लेकिन भगवान शंकर नहीं लौटे। जिसके बाद पार्वती ने उन्हें यमुना महारानी के पास भेज दिया। यमुना ने भोले भंडारी को गोपी का रूप धारण कराया। इसके बाद महादेव ने गोपी रूप में वहां महारास किया। गोपी रूप में सजे महादेव को भगवान श्रीकृष्ण ने पहचान लिया। महारास के बाद भगवान कृष्ण ने स्वयं शंकर भगवान की पूजा की और राधा जी ने वरदान दिया कि आज के बाद उनका गोपेश्वर रूप यहां गोपी के रूप में पूजा जाएगा। तब से लेकर आज तक यहां लोग शिव को गोपी के रूप में पूजते हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहां गोपेश्वर महादेव का सोलह श्रृंगार किया जाता है।

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