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मथुरा

UP में एक ऐसा अस्पताल, जहां दी जाती है ‘Death care’, देखें वीडियो

-Vrindavan के भक्ति वेदान्त हॉस्पीस में Cancer का इलाज-हिन्दू को Geeta सुनाते हैं, गंगाजल और तुलसी देते हैं-मुस्लिम को Quran की आयत और जमजम का पानी

मथुराJul 27, 2019 / 06:02 pm

अमित शर्मा

Death care

UP में एक ऐसा अस्पताल, जहां दी जाती है ‘Death care’, देखें वीडियो

मथुरा। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को जिंदगी के अंतिम पड़ाव में असहनीय दर्द से निजात दिलाकर आध्यात्मिक माहौल के बीच उनमें मौत का डटकर सामना करने का हौसला पैदा कर जिंदगी का साथ छोड़ने के लिए ‘भक्तिवेदान्त हॉस्पीस’ मानव सेवा का उदाहरण पेश कर रहा है। अंतिम समय मे यहां मरीज को ‘डेथ केयर’ भी दी जाती है, जिसमें हिन्दू को गीता के 18वें अध्याय का पाठ सुनाने से साथ गंगाजल और तुलसी दी जाती है। मुस्लिम मरीज के लिए कुरान की आयत पढ़कर सुनने के साथ पवित्र जमजम का पानी और इसी तरह अन्य धर्मों के मरीजों को भी डेथ केयर दी जाती है, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
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बीमारी से ज्यादा असहनीय होता है अपनों का दिया दर्द
वृन्दावन स्थित भक्तिवेदान्त हॉस्पीस के प्रबंधक जय भारद्वाज बताते हैं कि यहां कैन्सर, एचआईवी जैसी लाइलाज बीमारियों के मरीजों को लाया जाता है। उनको यहां मेडिकल केयर के साथ एक आध्यात्मिक माहौल में रखा जाता है। जय बताते हैं कि एक कैंसर मरीज को जितना दर्द सहन करना पड़ता है, उसका एक सामान्य व्यक्ति अंदाज भी नहीं लगा सकता। सबसे ज्यादा जो मानसिक पीड़ा मरीज को झेलनी पड़ती है, वो होती है अपनों की बेरुखी की। इससे मरीज का मनोबल पूरी तरह टूट जाता है। बीमारी के साथ अपनों का बदला व्यवहार कैंसर मरीज के लिए बेहद कष्टदायक होता है।
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मेडिकल केयर के साथ होती है स्प्रिचुअल केयर
लाइलाज बीमारी के ग्रसित लोगों की आखिरी वक्त में सेवा के उद्देश्य के साथ वर्ष 2010 में इस हॉस्पीस की शुरुआत की गई। वृन्दावन स्थित यह हॉस्पीस मुम्बई के मीरा रोड स्थित भक्तिवेदांत हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट का ही एक पार्ट है। जय भारद्वाज ने बताया कि बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को टूटे मनोबल के साथ बची हुई जिंदगी जीने में बड़ी मुश्किल झेलनी पड़ती है। कुछ मामलों में देखा गया है कि मरीज को मेडिकल केयर की जरूरत होती है लेकिन मिल नहीं पाती और मरीज को असहनीय दर्द होता है। यहां मरीज को मेडिकल केयर देने के साथ ही स्प्रिचुअल केयर भी की जाती है। मरीज के धर्म के हिसाब से उसे प्रतिदिन गीता, कुरान, बाइबिल आदि पढ़कर सुनाई जाती हैं। मरीजों को धर्म के अनुसार स्पीच देकर उन्हें जीवन और मृत्यु का यथार्थ सच बताने का काम किया जाता है, जिससे मरीज का मनोबल बढ़ाया जा सके। मरीज को पता होता है कि उसकी मौत होनी है, लेकिन इस स्प्रिचुअल केयर के माध्यम से उसके अंदर से मौत का डर काफी हद तक कम हो जाता है। धार्मिक-आध्यात्मिक परिवेश के अंदर बाकी बची हुई ज़िन्दगी के पलों को वह खुशी के साथ गुजरता है।
कैंसर पीड़ित विदेशी महिला से मिली प्रेरणा
जय भारद्वाज ने बताया कि हॉस्पीस के निर्माण की प्रेरणा एक विदेशी महिला से मिली जो खुद कैंसर से पीड़ित थी और वृन्दावन में शरीर छोड़ने की इच्छा से यहां आई थी। अंतिम समय मे उन्हें मेडिकल केयर का अभाव महसूस हुआ। महिला का नाम अर्चा विग्रह देवी दासी (एलीना ‘एंजल’ लिपकिन) था और उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु से यहां हॉस्पीस बनाने की इच्छा जताई थी, जिसे 2010 में पूरा किया गया। यहां मरीज को एडमिट होने के बाद उससे बेड चार्ज या खाने पीने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। केवल दवाओं का मामूली चार्ज लिया जाता है और मरीज उसे देने में भी असमर्थ हो तो दवाएं भी निःशुल्क दी जाती हैं।

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