यह लिखा था संदेश
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था कि मुझे यह जानकारी खुशी हुई कि तख्तमल जैन असेंबली के लिए मंदसौर उत्तरी निर्वाचन से चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे विशेष अनुरोध से वह चुनाव में खड़े हुए हैं। हम महसूस करते है कि असेंबली में इनकी उपस्थिति और बुद्धिमतापूर्ण मार्गदर्शन बहुत सहायक सिद्ध होगा। मुझे यकीन है कि निर्वाचन क्षेत्र के वोटर्स इनको वोट देंगे और इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनेंगे।
जैन के लिए श्यामसुंदर पाटीदार ने खाली की थी सीट
रवि अग्रवाल ने बताया कि उनके दादाजी बताते थे कि उनके परदादा ने उपचुनाव में तख्तमल जैन को हराया था। वर्ष 1952 में तख्तमल जैन मप्र के मुख्यमंत्री बने थे तब उनको उपचुनाव लडऩा था। ऐसे में उस उसम उनके लिए मंदसौर से श्यामसुंदर पाटीदार ने सीट खाली की थी और कांग्रेस के टिकट पर तख्तमल जैन मंदसौर से उपचुनाव लड़े थे। उनके सामने हिन्दू महासभा के शिवदर्शन अग्रवाल उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतरे थे। जैन का उस समय चुनाव चिन्ह खेत जोतते बैल थे तो अग्रवाल का घुड़सवार चुनाव चिन्ह था। चुनाव में जैन को 11 हजार 11 के करीब वोट मिले और जैन को 9 हजार 773 वोट मिले थे। हार के इस घटनाक्रम के बाद जैन मंदसौर से शाम की गाड़ी से इंदौर लौट गए थे और हार के कारणों की समीक्षा बैठक भी हुई थी।
जब नेहरू ने काटजू से पूछा था हार का कारण
जैन की हार की खबर जब कांग्रेस कार्यालय और नेहरु के पास पहुंची तो वह भी स्तब्ध रह गए थे। उन्होंने सीधे तौर पर उस समय कैलाशनाथ काटजू से जैन की हार का कारण पूछते हुए सवाल किया था कि यह क्या मामला है तुम तो वहां अभी होकर आए हो। तो काटजू ने जवाब दिया था कि मैं खुद हैरान हूं। उस समय जैन की हार प्रदेश ही नहीं देशभर की राजनीति में चर्चा का विषय रही थी।