मंदसौर के इस पशुपतिनाथ मंदिर समिति के इस तर्क के बाद बहस छिड़ गई है कि शिवरात्रि पर भगवान की शादी हुई थी या प्राकट्य? आयोजनकर्ताओं का कहना है कि बरसों से शिवरात्रि पर हल्दी और मेहंदी चढ़ाने की रस्म निभाई जा रही है। यह रोक ठीक नहीं।
पौराणिक कथा में उल्लेख भानपुरापीठ के शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने कहा, शिवरात्रि पर भगवान शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए। कुछ पौराणिक ग्रंथों में शिवरात्रि पर शिव-पार्वती के विवाह का उल्लेख भी है। इस दिन दोनों तरह के महोत्सव हैं।
मंदिर के पुजारी राकेश भट्ट ने का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि पर भगवान की शादी नहीं हुई। इस दिन भगवान शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए। भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा बड़ी है। हल्दी लगाने से भगवान का रंग पीला पड़ जाता है। कई दिनों तक हल्दी नहीं निकलती, इसलिए इस बार हल्दी और मेहंदी नहीं चढ़ाई जाएगी।