scriptCheetah Project : नामीबिया से फिर लाए जा रहे चीते, कूनो नहीं यहां बन रहा है इनका दूसरा घर | Cheetah Project New home of Cheetah is Gandhi sagar Abhyaran in MP 10th cheetahs coming from namibia in new year 2024 | Patrika News
मंदसौर

Cheetah Project : नामीबिया से फिर लाए जा रहे चीते, कूनो नहीं यहां बन रहा है इनका दूसरा घर

Cheetah Project : एक बार फिर नामीबिया से चीतों को लाने की तैयारियां जारी हैं। लेकिन इस बार चीतों को कूनों में बने बाड़ों में नहीं बल्कि, एक नई जगह और नए घर में छोड़ा जाएगा। जानें कहां और कैसे तैयार हो रहा है चीतों का ये नया घर…

मंदसौरSep 18, 2023 / 02:05 pm

Sanjana Kumar

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Cheetah Project : मप्र के कूनो नेशनल पार्क में देश के महत्वकांक्षी चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा हो गया है। अगर आप वाइल्ड लाइफ लवर हैं और देश के इस चीता प्रोजेक्ट के बारे में हर इंफॉर्मेशन का दिल से स्वागत करते हैं तो यह खबर आपको खुश कर रही होगी… आपको बता दें कि जनवरी 2024 में एक बार फिर नामीबिया से चीतों को लाने की तैयारियां जारी हैं। लेकिन इस बार चीतों को कूनों में बने बाड़ों में नहीं बल्कि, एक नई जगह और नए घर में छोड़ा जाएगा। जानें कहां और कैसे तैयार हो रहा है चीतों का ये नया घर…

नए साल में लाए जाएंगे 10 चीते

नए साल में एक बार फिर देश में चीता प्रोजेक्ट के दूसरे चरण की शुरुआत होगी। पिछले साल जहां सितंबर 2022 में नामीबिया दक्षिण अफ्रीका से चीते लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए थे। इसके बाद फरवरी में एक बार फिर से चीते लाए गए। अब नए साल में ऐसा तीसरी बार होगा जब नामीबिया दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए जाएंगे। इस बार पांच जोड़ी चीता यानी कुल 10 चीतों को भारत लाया जाएगा।

इस नए घर में बसाए जाएंगे चीते

आपको बता दें कि पिछले साल देश में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत जहां मप्र से की गई। वहीं अब दूसरे चरण में भी चीतों को मप्र ही लाकर बसाया जाएगा। लेकिन यह जगह कूनो नहीं बल्कि उनके दूसरे या कहें कि दूसरे घर के रूप में तैयार हो रही है। इन नए चीतों के लिए दूसरा घर मंदसौर के गांधी सागर वन अभयारण्य में बसाया जा रहा है। 30 करोड़ की लागत से 67 वर्ग किमी के क्षेत्र में बन रहा है चीतों का बाड़ा मंदसौर के इस गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के 67 वर्ग किमी में बाड़ा बनाने का काम पूरे जोर-शोर से जारी है। उम्मीद की जा रही है कि सबकुछ अच्छा रहा तो नए साल में गांधी सागर अभयारण्य में चीते दौड़ते नजर आएंगे। चंबल नदी के एक छोर पर यह बाड़ा बनाया जा रहा है। यहां 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर तीन मीटर की दूरी पर लोहे के पाइप लगाए हैं। इन पिलर पर तार फेंसिंग के साथ लोहे से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। इस दीवार पर सोलर तार लगाए जा रहे हैं। ये तार सोलर बिजली से कनेक्ट रहेंगे। ऐसे में यदि कोई भी चीता बाउंड्री वॉल को लांघने की कोशिश करता है तो उसे करंट का झटका लगेगा।

आपको बता दें कि गांधीसागर वन अभयारण्य 369 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। 28 किलोमीटर लंबे बाड़े की जाली लगाने में करीब 17 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक की लागत आई है। वन क्षेत्र में कैमरे भी लगाए गए हैं। इस नए घर को बसाने और चीता प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए इस पर 30 करोड़ रुपए का खर्च होना है।

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2 दिन तक टीम ने किया निरीक्षण

इस प्रोजेक्ट पर जिम्मेदार पैनी नजर रखे हुए हैं। इसीलिए हाल ही में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की एक टीम यहां दो दिवसीय दौरे पर थी। टीम ने चीता पुनर्वास समिति के सदस्यों के साथ चीतों के इस नए घर का बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान फेंसिंग की प्रगति, कार्य की गुणवत्ता और तय गाइड लाइन के अनुसार जिम्मेदारों के साथ चर्चा की गई। चीता प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने आई इस टीम में चीता पुनर्वास समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेश गोपाल, कमेटी के सदस्य हिम्मत सिंह नेगी, एनटीसीए आईजी इंस्पेक्टर जनरल फॉरेस्ट डॉ. अमित मलिक शामिल थे।

जानें गांधी मंदसौर क्यों बना एक्सपर्ट की पसंद

दरअसल एक्सपर्ट के मुताबिक चीतों के लिए ऐसी जगह बेहद मुफीद मानी गई हैं, जहां बड़े जंगल हों, आराम करने के लिए घास हो और उनकी पसंद का खाना हो और ये सारी सुविधाएं मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में उपलब्ध हैं। यही कारण है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट इंडिया ने चीतों के लिए पहले कूनो, फिर गांधी सागर, नौरादेही और राजस्थान के अभयारण्य को चिह्नित किया था। इनमें से एक्सपर्ट ने पहले कूनो फिर गांधी सागर सागर को चीता प्रोजेक्ट के लिए बेस्ट स्थानों में चुना। वहीं नौरादेही और राजस्थान के अभयारण्य की तुलना में गांधी सागर में लागत आधी आ रही थी। यह एल शेप में है और चंबल नदी के किनारे पर बसा है। कुल मिलाकर यह स्थान चीतों के लिए नेचुरली बेहतरीन साबित होगा।

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