दरअसल, जनपद के राजा बाग निवासी लेखपाल प्रदीपेंद्र सिंह राठौर 2012 से 2017 तक भोगांव तहसील में तैनात रहा था। आरोप है कि इस दौरान उसने गांव अहिरवा में अपनी रिश्तेदारों और अन्य लोगों के नाम 950 बीघा सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से अंकित कर दी। इसका खुलासा 2018 में हुआ। जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में मामले की जांच के आदेश दिए गए। जांच के बाद प्रशासन की तरफ से लेखपाल सहित 52 लोगों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया। वहीं वर्ष 2020 में लेखपाल और उसके साथियों पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करते हुए पुुलिस ने उसे जेल भेज दिया।
पुलिस अधिकारी अमर बहादुर के मुताबिक नोएडा के चिपयाना बुजुर्ग गांव में लेखपाल प्रदीपेंद्र के नाम 3 आवासीय प्लाट भी हैं। इसके अलावा उसने अपने गांव के आसपास भी कृषि भूमि खरीदी है। वह अवैध क्रियाकलापों से संपत्ति अर्जित करता रहा है। जिसकी जांच के बाद उसकी पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति को कुर्क किया गया है। अन्य संपत्ति की भी जांच कराई जा रही है।