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मैनपुरी

Lord Shiva Inspirational Story : ये छोटी सी कहानी पढ़ने के बाद आप क्रोध करना छोड़ देंगे

भगवान शंकर ने पिप्लाद से कहा- तुम उस दानी के पुत्र हो, जिसके आगे देवता भी भीख मांगने को मजबूर हो गए थे। इतने बड़े दानी के पुत्र होकर भी तुम भिक्षुकों पर क्रोध करते हो?

मैनपुरीAug 28, 2018 / 03:34 pm

Bhanu Pratap

Lord Shiva

भगवान शिव

महर्षि दाधिचि के पुत्र का नाम था पिप्लाद। चूंकि वह सिर्फ पीपल का फल ही खाया करते थे, इसलिए उन्हें पिप्लाद के नाम से पुकारा जाता था। अपने पिता की तरह पिप्लाद भी बहुत तेजवान और तपस्वी था। जब पिप्लाद को यह पता चला कि देवताओं को अस्थि-दान देने के कारण उनके पिता की मृत्यु हो गई , तो उन्हें बहुत दुख हुआ। आगबबूला होकर उन्होंने देवताओं से बदला लेने का निश्चय किया। यही सोचकर वह शंकर भगवान को खुश करने के लिए उनकी तपस्या करने लगा। उनकी तपस्या से अंतत: शंकर भगवान खुश हुए और पिप्लाद से वरदान मांगने को कहा। पिप्लाद ने भगवान से प्रार्थना की, ‘ हे आशुतोष! मुझे ऐसी शक्ति दो , जिससे मैं देवताओं से अपने पिता की मृत्यु का बदला ले सकूं। ‘ भगवान शंकर तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए।

उनके अंतर्ध्यान होने के तुरंत बाद वहां एक काली कलूटी लाल-लाल आंखों वाली राक्षसी प्रकट हुई। उसने पिप्लाद से पूछा , ‘ स्वामी आज्ञा दीजिए, मुझे क्या करना है। ‘ पिप्लाद ने गुस्से में कहा, ‘ सभी देवताओं को मार डालो।’ आदेश मिलते ही राक्षसी पिप्लाद की तरफ झपट पड़ी। पिप्लाद अचंभित हो चीख पड़ा, ‘ यह क्या कर रही हो ?’ इस पर राक्षसी ने कहा, ‘ स्वामी अभी-अभी आपने ही तो मुझे आदेश दिया है कि सभी देवताओं को मार डालो। मुझे तो सृष्टि के हर कण में किसी-न-किसी का वास नजर आता है। सच तो यह है कि आपके शरीर के हर अंग में भी कई देवता दिख रहे हैं मुझे। और इसीलिए मैंने सोचा कि क्यों न शुरुआत आपसे ही करूं।’

पिप्लाद भयभीत हो उठे! उन्होंने फिर से शंकर भगवान की तपस्या की। भगवान फिर प्रकट हुए। पिप्लाद के भय को समझकर उन्होंने पिप्लाद को समझाया, ‘ वत्स, गुस्से में आकर लिया गया हर निर्णय भविष्य में गलत ही साबित होता है। पिता की मृत्यु का बदला लेने की धुन में तुम यह भी भूल गए कि दुनिया के कण-कण में भगवान का वास है। यह सुनते ही पिप्लाद का क्रोध शांत हो गया और उन्होंने भगवान से क्षमा मांगी। इस तरह एक बार फिर देवत्व की रक्षा हुई।

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