पिता के ट्रांसफर के चलते डिंपल की पढ़ाई पुणे, भटिंडा, अंडमान निकोबार और लखनऊ में हुई। डिंपल के पिता एसपी रावत सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। डिंपल तीन बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। उनके पिता अभी उत्तराखंड के काशीपुर में रहते हैं। डिंपल ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही इनकी मुलाकात अखिलेश से हुई थी।
अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव की लव स्टोरी किसी सिनेमा की लव स्टोरी से कम नहीं है। पहली बार उनकी मुलाकात तब हुई थी, जब अखिलेश 21 साल के थे, जबकि डिंपल महज 17 साल की थीं। उनकी मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के यहां हुई थी।
सिडनी जाने के बाद भी अखिलेश, डिंपल को लव लेटर और ग्रीटिंग कार्ड भेजते रहे। यह सिलसिला कुल 4 सालों तक चला अखिलेश जब पढ़ाई के बाद यूपी लौटे तो उन्होंने डिंपल से शादी करने का मन बना लिया था।
दादी शुरुआती ना-नुकुर के बाद आखिरकार पोते की बात मान गईं और इस रिश्ते के लिए हामीं भर दीं। अखिलेश जिद्दी थे। उन्होंने घर में अघोषित बगावत छेड़ दी कि शादी होगी तो डिंपल से ही। नेताजी ने स्थिति को देखते हुए बेटे के जिद के आगे अपने जिद को किनारे किया और इस रिश्ते के लिए अपनी रजामंदी दे दी।
उस वक्त का एक किस्सा और है। कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव लालू यादव की बेटी से अखिलेश की शादी करना चाहते थे। ऐसे में फिर लालू को ना कहना भी मुश्किल था। या यूँ कहें कि दोस्त की नाराज होने का डर भी था। बाद में साल 2015 में लालू की बेटी राजलक्ष्मी से यादव परिवार में तेज प्रताप की शादी हुई।
डिंपल के पिता आर्मी में अफसर थे। शुरुआत में वो भी शादी के लिए तैयार नहीं थे लेकिन फिर बाद में दोस्तों और रिश्तेदारों के मनाने के बाद वो मान गए।
24 नवंबर 1999 को अखिलेश और डिंपल यादव की शादी हुई। अखिलेश और डिंपल की जोड़ी पॉलिटिक्स में सबसे सफल जोड़ियों में से एक मानी जाती है। डिंपल के तीन बच्चे हैं। उनके नाम अर्जुन, टीना और अदिति हैं। अदिति और टीना दोनों जुड़वा हैं।
पहला चुनाव हार गईं, पांचवें चुनाव में रिकॉर्ड 5 लाख से ज्यादा वोट पाईं डिंपल यादव की साल 2009 में पॉलिटिक्स में एंट्री हुई। उस साल अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर कन्नौज लोकसभा सीट को चुना। डिंपल यहां से लोकसभा का पहला चुनाव लड़ीं। लेकिन, इस चुनाव में डिंपल का बैड लक रहा। वो कांग्रेस के नेता और बॉलीवुड के अभिनेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं।
साल 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तब कन्नौज सीट खाली हुई। डिंपल फिर चुनाव लड़ीं और कन्नौज से निर्विरोध चुनी गईं।
साल 2014 में डिंपल ने कन्नौज से तीसरी बार चुनाव लड़ीं और जीत गईं। लेकिन, साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा।
मुलायम सिंह यादव यानी नेताजी के निधन के बाद उन्होंने मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड 2 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की। यह उनका पांचवां चुनाव था और इसमें उनको 5 लाख से अधिक वोट मिले।
दिसंबर 2016 में जब लखनऊ में मेट्रो का उद्घाटन हुआ तो उस दिन 2 महिला ड्राइवरों को भी बुलाया गया था। डिंपल यादव ने दोनों को मेट्रो की चाभी सौंपी थी। यह उनके ही प्लांनिग का हिस्सा था।
वो लगातार परिवार को एकजुट करने की कोशिशों में लगी रहीं। इससे उनकी छवी सकारात्मक पारिवारिक सदस्य की बनी। और इसमें वो कामयाब भी हुईं। मैनपुरी चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने चाचा शिवपाल यादव से आशीर्वाद मांगा। शिवपाल ने बहु को न सिर्फ आशीर्वाद दिया बल्कि प्रचार भी किया।