इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
इस एफआईआर में आईपीसी की धारा 147, 166, 167, 323, 504, 506, 427, 452, 342, 336, 355, 420, 467, 468, 471 तथा 120 बी जोड़ी गई हैं। यह धाराएं दस्तावेजों से छेड़छाड़, धोखाधड़ी, मारपीट, धमकी देने जैसे कई आरोपों को लेकर हैं। इन धाराओं में 10 साल की कैद और उम्रकैद जैसी कठोर सजा का भी प्रावधान है।
अवैध तरीके से पत्रकार का मकान गिराने का है मामला
जानकारी के मुताबिक 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सड़क विस्तार के लिए मकानों को गिराए जाने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे। यह आदेश महराजगंज में पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल का मकान गिराए जाने को लेकर दिया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि 13 सितंबर 2019 को बिना जमीन का अधिग्रहण किए या नोटिस दिए अचानक टिबड़ेवाल का पुश्तैनी मकान तोड़ दिया गया था। यह सब इतनी जल्दी में किया गया कि पत्रकार का परिवार घर से सामान भी नहीं निकाल पाया था।
25 लाख का मुआवजा देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए के अंतरिम मुआवजे के साथ ही यूपी सरकार को यह आदेश भी दिया था कि वह गैरकानूनी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक महीने में विभागीय कारवाई करने के साथ ही उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो।
30 दिसंबर को इन अधिकारियों पर दर्ज हुआ मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 30 दिसंबर को महराजगंज कोतवाली थाने में यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी ने एफआईआर दर्ज करवाई है।यह एफआईआर आईएएस और पीसीएस अधिकारियों, NHAI और PWD के इंजीनियरों, नगर पालिका के अधिकारी, पुलिस इंस्पेक्टरों, सब- इंस्पेक्टरों, LIU इंस्पेक्टरों और ठेकेदारों समेत 26 के खिलाफ दर्ज हुई है। जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, तत्कालीन एसडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल भी शामिल हैं।