McAfee ने लाइफ बिहाइंड द स्क्रीन्स ऑफ पैरेंट्स, ट्वींस एंट टींस के नाम से तैयार की है। कंपनी ने यह रिपोर्ट अमेरिका, भारत, यूके समेत 10 देशों के 15,500 माता-पिता और उनके 12,000 बच्चों के सर्वे के आधार पर तैयार की है।
12 मई को दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 से 14 वर्ष के बच्चों की तुलना में यह 7 फीसदी ज्यादा है, जिनमें से 76 फीसदी ने कहा कि उन्होंने स्मार्ट फोन या मोबाइल फोन इस्तेमाल किया। दुनिया भर में 15 और 16 साल के बीच के 83 फीसदी किशोरों ने कहा है कि उन्होंने स्मार्ट फोन या मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल किया है। वैसे इस सर्वे का मकसद ये देखना था कि माता-पिता खुद और अपने बच्चों को इंटरनेट से जुड़े जोखिमों से कैसे सुरक्षित रखते हैं।
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 17 या 18 साल की उम्र में साइबर बुलिंग (Cyber Bulling) की घटनाएं 18 फीसदी बढ़ी हुई पाई गईं। वहीं ऑनलाइन अकाउंट चुराने की 16 फीसदी और दूसरों के निजी डेटा के अनधिकृत इस्तेमाल के मामलों में 14 फीसदी इजाफा देखा गया है। हालांकि, आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि 73 फीसदी केस में बच्चों ने ऑनलाइन सेफ्टी के लिए दूसरे संसाधनों से ज्यादा अपने माता-पिता से मदद चाही। लेकिन, वास्तविकता ये है कि माता-पिता अपने बच्चों को साइबरबुलिंग से बचाने में पिछड़ते नजर आए।
रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जब बच्चों को ऑनलाइन जोखिमों से सुरक्षित रखने की बात आई तो माता-पिता में लैंगिक भेदभाव किया। 59 फीसदी बच्चों ने अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को छिपाया। इसके लिए ब्राउजर हिस्ट्री को हटाने के साथ-साथ, वे ऑनलाइन जो कुछ भी करते हैं, सबको मिटा देते हैं। आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन जोखिमों में लड़कियों को ज्यादा प्रोटेक्टेड किया गया है। हालांकि, समस्याओं की बारी आई तो लड़कों को ऑनलाइन ज्यादा भुगतना पड़ा। जिन देशों में सर्वे हुआ है वहां देखा गया कि 10 से 14 साल की लड़कियों को उसी उम्र के लड़कों की तुलना में उनके पर्सनल कम्यूटर या लैपटॉप पर माता-पिता ने ज्यादा निगरानी रखी, जबकि लड़कों का अपने माता-पिता से अपनी ऑनलाइन ऐक्टिविटी छिपाने की ज्यादा आशंका थी। 23 फीसदी माता-पिता ने कहा कि वे 10 से 14 साल की अपनी बेटियों की ब्राउजिंग और ईमेल हिस्ट्री चेक करेंगे। वहीं इसी उम्र के लड़कों के माता-पिता में ऐसा करने वालों की संख्या सिर्फ 16 फीसदी रही। इसी तरह 22 फीसदी माता-पिता ऐसे मिले, जिन्होंने कुछ साइट्स को लड़कियों के लिए ऐक्सेस करना रोक दिया। जबकि, लड़कों के मामले में ऐसे सिर्फ 16 फीसदी माता-पिता मिले हैं।