इसके लिए योगी सरकार ने प्रदेश के कई जिलों में सर्वे कराया है। अब राजभर समाज को एसटी में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की तैयारी चल रही है। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, जब से सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर एनडीए में शामिल हुए हैं तब से राजभर लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सीएम योगी से भी मुलाकात भी की थी।
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2022 विधानसभा चुनाव में सपा के साथ थे राजभर
बता दें कि ओपी राजभर अभी हाल ही में एनडीए का हिस्सा बने हैं। इससे पहले राजभर 2017 विधानसभा का चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। बाद में सपा और सुभासपा की राहें अलग हो गई। इससे पहले साल 2017 में बनी योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में राजभर कैबिनेट मंत्री बने थे। बाद में उन्हें मंत्रिमंडल से निकाल दिया गया। इसके बाद राजभर विधानसभा चुनाव में सपा के साथ चले गए थे।
अमित शाह से मिलने के बाद एनडीए में हुए शामिल
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बार फिर से वह बीजेपी के पाले में आ गए हैं। दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने एनडीए में जाने का ऐलान किया। इसके कुछ दिन बाद राजभर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की मांग करने वाला वाला पत्र भी दिया था। सीएम योगी से मिलने के बाद राजभर ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री उनकी मांग से सहमत हो गए हैं। उन्होंने भर और राजभर बिरादरी को एसटी कैटिगरी में सूचीबद्ध किए जाने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजने के लिए समाज कल्याण विभाग को आदेश दे दिया है।
राजभर का दिखा असर
राजभर का कहना है कि भर और राजभर बिरादरी को यूपी में ओबीसी कैटिगरी में रखा गया है जबकि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वह अनुसूचित जनजाति में रखे गए हैं। योगी से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि जल्द ही यूपी में भी राजभर को एसटी कैटिगरी का लाभ मिलेगा। साथ ही समाज के युवाओं को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अधिक अवसर मिलने लगेगा। इसके बाद से अब सियासी चर्चा तेज हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि ओपी राजभर के एनडीए में शामिल होने का असर दिखने लगा है।