योगी कैबिनेट का हो सकता है विस्तार वहीं पीएम मोदी ने जैसे सत्तर साल की उम्र वाले या काम में कमजोर पाए गए मंत्रियों का इस्तीफा ले लिया। उसी तरह सीएम योगी भी सत्तर साल वाले या कमजोर प्रदर्शन वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। सत्तर के आसपास या उससे ऊपर वाले दायरे में सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, दुग्ध विकास, पशुधन, मत्स्य मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, खादी एवं ग्रामोद्योग और एमएसएमई राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह और लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय हैं। ऐसे में इनकी कैबिनेट से छुट्टी होने की भी संभावना जताई जा रही है।इसके अलावा विवादों में रहे कुछ मंत्रियों को भी हटाया जा सकता है। इस तरह कैबिनेट की जितनी भी सीटें खाली होंगी, वहां क्षेत्रीय-जातीय संतुलन को देखते हुए ही समायोजन किया जाएगा।
फोकस जातीय समीकरण पर कैबिनेट विस्तार में जातीय समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। राजभर, निषाद और ब्राह्मण के साथ किसी क्षत्रिय को मौका दिया जा सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद को शामिल किया जाना लगभग तय था। लेकिन वहां उन्हें स्थान नहीं मिला। ऐसे में अब भाजपा प्रवीण के पिता संजय निषाद को विधान परिषद सदस्य बनाकर मंत्री बना सकती है। इसी तरह राजभर जाति के किसी नेता को भी मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को विधान परिषद में भेजकर मंत्री पद दिये जाने की संभावना है। वहीं कमलरानी वरुण के बाद से योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में कोई महिला मंत्री नहीं है। इसलिए अब किसी महिला को भी कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।
केंद्र में पीएम सहित यूपी के 15 मंत्री मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार में कई राज्यमंत्रियों को कैबिनट का दर्जा दिया गया तो कई नए चेहरों को मौका मिला है। सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व उत्तर प्रदेश को मिला है। यूपी से सात मंत्री बनाए गए हैं। एक मंत्री को प्रमोशन मिला है। इसके साथ ही यूपी से केंद्र में मंत्रियों की संख्या पहले से करीब दोगुनी हो गई है। इनमें से प्रधानमंत्री मोदी सहित केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब 15 मंत्री हैं। पहली बार ऐसा हुआ है जब केंद्र सरकार में इतनी बड़ी संख्या में यूपी को प्रतिनिधित्व मिला है। इसके पीछे अगले छह महीने में होने वाले यूपी चुनाव को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा मोदी कैबिनेट में यूपी से शामिल हुए सात मंत्रियों पर नजर डालें तो साफ है कि भाजपा नेतृत्व ने मिशन-2022 की बिसात पर जातीय समीकरणों का एक बार फिर दांव चला है। पार्टी ने तीन ओबीसी, तीन अनुसूचित जाति और एक ब्राह्मण सांसद को मंत्रिमंडल में शामिल कर साफ संकेत दे दिया है कि अतीत की तरह अगामी चुनावों में भी उसकी रणनीति जातियों के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन बिठाकर बहुमत हासिल करने की रहेगी।