आयोडीन मनुष्यों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है। इसकी कमी से घेंघा, हाइपोथायरायडिज्म, गर्भपात, गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के विकास में रुकावट जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा, बच्चों में बौनापन, गर्भ में शिशु की मृत्यु जैसी स्थितियाँ भी हो सकती हैं। इन बीमारियों से बचने का सबसे प्रभावी उपाय आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना है। इसके साथ ही चावल और आटे को फोर्टीफाइड कर आयोडीन की कमी को पूरा किया जा सकता है।
आयोडीन क्यों है जरूरी
आयोडीन शरीर को स्वस्थ और मस्तिष्क को सक्रिय बनाता है, साथ ही कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है। मस्तिष्क को नुकसान पहुँचाने में आयोडीन की कमी एक प्रमुख कारण होती है। यह एक ऐसा सूक्ष्म पोषक तत्व है, जिसे शरीर खुद नहीं बना सकता, बल्कि यह भोजन से प्राप्त होता है। थाइरॉयड हार्मोन के सही उत्पादन के लिए आयोडीन आवश्यक होता है, और गर्भाशय के विकास में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिन महिलाओं में आयोडीन की कमी होती है, उनमें थायरॉयड की कार्यप्रणाली बाधित होती है, जिसका प्रभाव उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके अलावा, आयोडीन की कमी से बच्चों का मानसिक विकास कमजोर हो सकता है, ऊर्जा की कमी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आवश्यक आयोडीन की मात्रा
आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन 5 ग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 220 माइक्रोग्राम और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 280 माइक्रोग्राम आयोडीन लेना चाहिए। बच्चों में आयोडीन की आवश्यकता उनकी उम्र और वजन के अनुसार निर्धारित होती है।
आयोडीन के प्रमुख स्रोत
आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत आयोडीन युक्त नमक है। इसके अलावा, डेयरी उत्पाद (चीज, दूध, योगर्ट), शकरकंद, प्याज, पालक, मछली, चिकन, बीन्स, और समुद्री मछलियाँ भी आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं। इन खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा करता है। डॉ. शिल्पी ने बताया कि आजकल सेंधा नमक और लोना नमक का प्रचलन बढ़ रहा है, लेकिन इनमें आयोडीन की मात्रा सामान्य आयोडीन युक्त नमक की तुलना में बहुत कम होती है। इससे आयोडीन की कमी संबंधी बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए सामान्य आयोडीन युक्त नमक का ही सेवन करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि यदि हम संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर उचित मात्रा में हो, तो अलग से फोर्टीफाइड फूड की आवश्यकता नहीं होगी।
भारत में आयोडीन की कमी रोकने के प्रयास
भारत में 1962 में राष्ट्रीय घेंघा नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसे अगस्त 2020 में बदलकर राष्ट्रीय आयोडीन की कमी विकार नियंत्रण कार्यक्रम (एनआईडीडीसीपी) कर दिया गया। इस कार्यक्रम के तहत आयोडीन की कमी से होने वाले सभी विकारों को शामिल किया गया है और इसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के अनुसार, देश में 92.3% परिवार आयोडीन युक्त नमक का सेवन करते हैं, जिसमें शहरी क्षेत्र के 97% और ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 93% परिवार आयोडीन युक्त नमक का सेवन कर रहे हैं।