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संयुक्त प्रयासों से सुधार
भारत में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) और राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत 2021 से एचआईवी-टीबी साझा गतिविधि प्रारंभ की गई। इस पहल का उद्देश्य दोनों बीमारियों से होने वाली मृत्यु और रुग्णता को कम करना है। इस कार्यक्रम के तहत हाई रिस्क ग्रुप की नियमित जांच, आईसीटीसी सेंटर पर स्क्रीनिंग और जेलों में गहन टीबी खोज कार्यक्रम जैसे उपाय शामिल हैं। पालिसी लेवल पर एचआईवी केयर सेटिंग्स में टीबी की जांच को शुरू किया गया। यह भी पढ़ें
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जिला क्षय रोग अधिकारी को जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी नामित किया गया । एनटीईपी और एनएसीपी के जिला और राज्य स्तरीय अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से सुपरविजन और मॉनिटरिंग विजिट की व्यवस्था की और नियमित आउटरीच सेवाओं के तहत पीयर एजुकेटर्स के द्वारा हाई रिस्क ग्रुप और हॉट स्पॉट में टीबी स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गयी। इसके साथ ही आईसीटीसी सेंटर पर टीबी की स्क्रीनिंग, उनका एनटीईपी में संदर्भन, प्रीवेन्टिव ट्रीटमेंट और जेलों में सघन टीबी केस फाइंडिंग की गयी | इन सब प्रयासों का परिणाम है कि वर्तमान में 95 फीसद नोटिफाइड टीबी मरीजों का एचआईवी स्टेटस पता है जहां साल 2008 में केवल 11 फीसद टीबी मरीजों का एचआईवी स्टेटस पता था।राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की रिपोर्ट: 2022-23 की प्रमुख उपलब्धियां
टीबी स्क्रीनिंग: 2.23 लाख हाई रिस्क व्यक्तियों (महिला यौनकर्मी, ट्रक ड्राइवर, ट्रांसजेंडर, आदि) की जांच की गई, जिनमें से 3700 संभावित टीबी रोगी मिले।एचआईवी जांच: 1.45 लाख टीबी मरीजों को एचआईवी जांच के लिए भेजा गया, जिनमें से 1.1% एचआईवी संक्रमित पाए गए।
टीबी निदान: 1916 एचआईवी संक्रमित मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई।